गर्मी का मौसम शुरू होते ही सबसे ज्यादा जरूरत होती है एक अच्छे कूलर की, जो तेज धूप और चुभती लू से राहत दिला सके। लेकिन जब बाजार में कूलर खरीदने जाते हैं, तो सबसे बड़ा सवाल यही आता है — प्लास्टिक का कूलर लें या लोहे का? दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। तो चलिए, आज हम जानते हैं किस कूलर में ज्यादा ठंडक मिलेगी और आपके लिए कौनसा रहेगा परफेक्ट।
1. ठंडक देने की क्षमता: कौन है आगे?
- लोहे का कूलर: लोहे के कूलर में मोटर और ब्लोअर आमतौर पर काफी ताकतवर होते हैं। इसका फैन भी बड़ा होता है जिससे हवा दूर तक जाती है। गर्मी के समय लोहे का कूलर तेजी से और ज्यादा ठंडी हवा देने में सक्षम होता है।
- प्लास्टिक का कूलर: ये कूलर डिजाइन में कॉम्पैक्ट होते हैं और छोटे या मिडियम साइज के कमरे के लिए सही रहते हैं। लेकिन गर्मी ज्यादा हो तो इनकी ठंडक थोड़ी कम महसूस होती है।
नतीजा: ठंडी हवा के लिए लोहे का कूलर बेहतर माना जाता है।
2. लाइफ और मजबूती
- लोहे का कूलर: मजबूत जरूर होता है, लेकिन जल्दी जंग लगने की संभावना होती है। अगर सही देखभाल न हो तो पानी और नमी से इसकी बॉडी खराब हो सकती है।
- प्लास्टिक का कूलर: जंग नहीं लगता और हल्के होते हैं, इसलिए इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना आसान है। रखरखाव भी आसान है।
नतीजा: लॉन्ग टर्म यूज के लिए प्लास्टिक कूलर ज्यादा टिकाऊ है।
3. लुक और डिजाइन
- लोहे का कूलर: डिजाइन में सिंपल होता है और थोड़ा भारी-भरकम दिखता है।
- प्लास्टिक का कूलर: मॉडर्न और स्टाइलिश लुक के साथ आता है। घर के इंटीरियर में फिट बैठता है।
नतीजा: डिजाइन और पोर्टेबिलिटी में प्लास्टिक कूलर आगे है।
4. कीमत और बिजली की खपत
- लोहे के कूलर साइज और फीचर्स के हिसाब से थोड़े महंगे हो सकते हैं, और ज्यादा बिजली भी खर्च करते हैं।
- प्लास्टिक के कूलर में ऑप्शन ज्यादा मिलते हैं और बिजली की खपत भी कम होती है।
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