इलेक्ट्रिक बसें: प्रदेश के शहरों में जल्द ही नए संविदान द्वारा नियुक्त केंद्रीय परिवहन मंत्रालय से आने वाली नई इलेक्ट्रिक बसें राहगीरों के लिए नया सफर आरम्भ करेंगी। ये बीसीएलएल के तत्वों से संचालित होंगी और उनका मुख्य उद्देश्य स्थानीय सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को मजबूत करना होगा।
केंद्र सरकार की योजना के अनुसार, ये बसें विभिन्न चरणों में शहरी सड़कों पर चलाई जाएंगी। इन्हें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन जैसे 6 नगरीय क्षेत्रों के लिए मंजूरी प्राप्त हो चुकी है।
बसों का परिचालन
सीएनजी से चलने वाली एक बस प्रति किलोमीटर में औसतन 6 किलोमीटर की यात्रा करती है। इसका खर्च, प्रति किलोमीटर 77 रुपये के आधार पर, एक बस पर दिन में 70 किलोमीटर का चालन करने पर 5390 रुपये होता है। इसका अधिकतम खर्च, 200 वाहनों के लिए, प्रति दिन 10 लाख 78000 रुपये है।
इलेक्ट्रिक बसें एक यूनिट में 22 रुपये के खर्च के साथ चलती हैं। इस तरह, प्रति दिन एक बस को 100 किलोमीटर भी चलाया जाए, तो अधिकतम 2200 रुपये का खर्च आएगा। 150 इलेक्ट्रिक बसों के लिए यह लागत प्रति दिन 3 लाख 30000 रुपये होगी।
प्रदूषण में कमी
इलेक्ट्रिक बसों के उपयोग से प्रदूषण में कमी आएगी, साथ ही ऑपरेटरों का खर्च भी कम होगा। केंद्र सरकार की सहायता से, इन्हें शीघ्र ही सड़कों पर लाया जाने की योजना है। उमेश जोगा, परिवहन उपायुक्त
Mahindra Scorpio को खरीदना हुआ आसान, बेस्ट डील में मिल रही बेहद सस्ती, जानिए इसके फीचर्स।
कार्बन उत्सर्जन में कमी
पारंपरिक ईंधन से चलने वाले वाहनों से तुलना में, इलेक्ट्रिक बसों के कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन को लगभग 75 प्रतिशत कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन में परिवहन क्षेत्र का हिस्सेदारी 55 प्रतिशत से भी अधिक है। एक विशेषज्ञ समीक्षा के अनुसार, डीजल बसों के परिचालन से कार्बन फुटप्रिंट में 23 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
चार्जिंग स्टेशन का स्थानीय प्लान
भोपाल में 37 चार्जिंग स्टेशन
स्टेशनों की योजना है, जिनमें 27 तेज चार्जिंग स्टेशन और 10 धीमे चार्जिंग स्टेशन शामिल होंगे। ये स्टेशन रेलवे स्टेशन, मल्टी-लेवल पार्किंग, गोंक्षवदपुरा स्मार्ट सिटी कैंपस, और भोपाल हवाई अड्डे के पास स्थित होंगे।
इलेक्ट्रिक बसों की विशेषताएँ
- शुरुआती तौर पर 20 बसों का उपयोग होगा। साल भर में मध्यप्रदेश में 100 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी।
- भोपाल-इंदौर के यात्रियों के लिए एयरपोर्ट लाउंज की तरह लाउंज बनाए जाएंगे।
- एक किमी की दूरी पर सवा यूनिट बिजली की खपत होगी, जिसकी लागत करीब 22 रुपये होगी। इसके विपरीत, डीजल बसों में इसका खर्च 40 रुपये के आसपास होता है।
- एक बस साल में दो लाख किलोमीटर चलेगी और पांच हजार टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन रोकेगी।
- Maruti के टक्कर में आई Skoda की नई SUV, जबरदस्त फीचर्स से जीतेगी ग्राहकों का दिल।