अफीम नीति 2024-25: किसानों के लिए नई शर्तें, लाइसेंस और पात्रता के महत्वपूर्ण बदलाव

Afeem niti 2024 25 : केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2024-25 के लिए नई अफीम नीति जारी कर दी है, जो अफीम की खेती करने वाले किसानों के लिए लाइसेंस प्राप्त करने और खेती की पद्धतियों में महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आई है। इस नीति में मुख्य रूप से मार्फिन की औसत मात्रा, फसल उत्पादन, और नई लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

नई अफीम नीति 2024-25: मुख्य बिंदु | Afeem niti 2024 25

  1. लाइसेंसिंग पात्रता:
  • जिन किसानों ने फसल वर्ष 2023-24 में अफीम की खेती में मार्फिन की औसत मात्रा 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या अधिक प्राप्त की है, उन्हें “लुवाई चिराई” पद्धति से अफीम गोंद निकालने के लाइसेंस प्राप्त होंगे।
  • ऐसे काश्तकार जिन्होंने वर्ष 2023-24 में पोस्त भूसा उत्पादन के लिए अफीम की खेती की है, और तौल केंद्र पर 900 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या उससे अधिक उत्पादन प्रस्तुत किया है, उन्हें भी “लुवाई चिराई” लाइसेंस प्रदान किया जाएगा।
  1. सीपीएस (CPS) पद्धति के लिए पात्रता:
  • सीपीएस पद्धति में ऐसे किसान पात्र होंगे जिन्होंने पिछले वर्ष (2023-24) में प्रति हेक्टेयर 675 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्तभूसे का उत्पादन किया है।
  • जिन किसानों ने 675 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से कम उपज प्रदान की थी, उनके लाइसेंस इस वर्ष के लिए रोक दिए गए हैं, लेकिन वे पुनः सीपीएस पद्धति में खेती कर सकेंगे।
  1. सीपीएस पद्धति में नई पात्रता और अवधि:
  • नई सीपीएस पद्धति में पहली बार पात्र हुए किसानों को 5 वर्षों के लिए लाइसेंस दिए जाएंगे, जो फसल वर्ष 2024-25 से 2028-29 तक प्रभावी रहेंगे।
  • इन किसानों को 0.10 हेक्टेयर में एक प्लॉट के लिए लाइसेंस प्राप्त होंगे, और भूमि विस्तार के लिए वे अन्य भूमि पट्टे पर ले सकते हैं।
  1. पुराने लाइसेंस धारकों के लिए सुविधा:
  • पुराने लाइसेंस धारकों को मौजूदा दस्तावेज फिर से प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। केवल पिछले वर्ष के किसी भी परिवर्तन की जानकारी नारकोटिक्स विभाग को दी जाएगी।

चीरा पद्धति से अफीम खेती के लिए नए प्रावधान

  • जिन किसानों ने चीरा पद्धति से अफीम की खेती की थी और फसल वर्ष 2023-24 में औसत 3 से 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के बीच उत्पादन प्राप्त किया, उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति में खेती के लिए पात्रता मिलेगी।
  1. वैध उत्तराधिकारियों को लाइसेंस:
  • फसल वर्ष 1995-96 के बाद जिन किसानों को लाइसेंस मिला था लेकिन किसी कारण से निरस्त हो गया, वे सीपीएस पद्धति के अंतर्गत पात्र हो सकते हैं।
  • मृतक किसानों के वैध उत्तराधिकारियों को भी इस वर्ष लाइसेंस दिया जाएगा, ताकि उनकी विरासत सुरक्षित रहे।

अफीम नीति 2024-25 के लाभ

  • इस नई नीति के माध्यम से सरकार ने अधिक उत्पादकता वाले किसानों को प्रोत्साहन देने का प्रयास किया है, जिससे खेती के क्षेत्र में नवाचार और बढ़ोतरी हो सके।
  • अधिक मार्फिन औसत प्राप्त करने वाले और उत्पादन मानदंडों को पूरा करने वाले किसानों को सीधे लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रिया आसान हुई है।
  • सीपीएस पद्धति में 5 वर्षों के लिए लाइसेंस जारी होने से किसान दीर्घकालिक योजना बना सकेंगे और तकनीकी उन्नति का लाभ उठा सकेंगे।
smileनवीनतम खबरो के लिए हमारे साथ जुड़ेंsmile

Leave a Comment