रविवार के दिन भोपाल के जंबूरी मैदान में आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग, जातिगत आरक्षण की पुन: समीक्षा व एट्रोसिटी एक्ट के विरोध सहित 21 सूत्रीय मांगों को लेकर राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना की महारैली और जन आंदोलन आयोजित किया जा रहा है।
जंबूरी मैदान में करणी सेना परिवार का बड़ा आंदोलन हो रहा है जिसमें प्रदेशभर से राजपूत और अन्य जाती के लोग आए हैं। यह जन आंदोलन 21 सूत्रीय मांगों को लेकर यह आंदोलन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के विधायक रघुप्रताप सिंह (राजा भैया), शेर सिंह राणा, राजेश शेखावत समेत अन्य लोग मोजूद रहें ।
कई जिलों में परमिट ना मिलने पर भी लोग अधिक संख्या में आए जहां जंबूरी मैदान के सारे रिकॉर्ड टूट गए
कई जिलों में बसों के परमिट रोके करणी सेना परिवार के योगेंद्र सिंह ने बताया कि ने बताया कि प्रदेशभर से लोग भोपाल के जंबूरी मैदान में आएंगे। लाखों राजपूत आंदोलन का हिस्सा बनें। हालांकि आंदोलन को रोकने के लिए तमाम कोशिशें की जा रही थी। कई जिलों में बसों के परमिट नहीं दिए जा रहे थे। इसलिए जिला स्तर पर आंदोलन करना पड़ रहा है। इसके अलावा बच्चों से लेकर बुजुर्ग साधन न होने के बाद भी पैदल भोपाल आ रहे हैं।
आंदोलन जंबूरी मैदान से अब भोपाल की सड़कों पर आ गया है ।
आज करणी सेना के कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर अब सड़कों पर उतर आए हैं. भोपाल के जंबूरी मैदान में रात भर बैठे कार्यकर्ता दोपहर में बोर्ड ऑफिस चौराहे की ओर मार्च करते हुए निकल पड़े और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता रास्ते में पहुंचे तो पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया. जहां महात्मा गांधी चौराहे के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग कर दी जिसके विरोध में तमाम कार्यकर्ता चौराहे पर ही धरने पर बैठ गए हैं और नारेबाजी कर रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती यह हटने वाले नही हैं ।
करणी सेना ने दी सत्ता पलटने की चेतावनी
जंबूरी मैदान में करणी सेना के सदस्यों का कहना है कि हम वही माई के लाल हैं जिन्होंने 2018 में सत्ता का परिवर्तन किया था और सरकार हमें दबाने का प्रयास करेगी तो हम 2023 में भी सरकार परिवर्तन करने में सक्षम हैं ।करणी सेना का कहना है हमारे आंदोलन को दबाने के लिए सरकार ने अपने अनुवांशिक संगठनों की मदद से ले रही है । जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि सरकार उनकी मांगे जब तक नहीं मानती तब तक वह भूख हड़ताल पर रहेंगे इसके लिए उनके प्राण तक चले जाएं लेकिन फिर भी उनका यह आंदोलन जारी रहेगा ।