Health and fitness: सर्दी-खांसी वाले मरीज हो जाएं सावधान, बिना डॉक्टर की सलाह के सिरप नहीं पिएं,हो सकती है मौत

Health and fitness: WHO ने भारत की मैडन फार्मास्युटिकल्स कंपनी को कफ एंड कोल्ड सिरप को लेकर चेतावनी जारी की है। यह चेतावनी अफ्रीकी देश गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के बाद दी गई है। ये बच्चे कफ सिरप पी रहे थे। ऐसे में आपके मन में भी यह सवाल होगा कि हम जो कफ सिरप पीते हैं, वो कितनी सुरक्षित है…आज जरूरत की खबर में इसके बारे में बात करेंगे।

हमारे एक्सपर्ट हैं- डॉ मनीष कुमार, एमडी फिजिशियन, हेल्थजोन स्पेशलिटी क्लिनिक, रायगढ़ और डॉ. बालकृष्ण श्रीवास्तव इंचार्ज मेडिकल ऑफिसर, प्राइमरी हेल्थ सेंटर, भोपाल

सवाल 1- सर्दी-खांसी होते ही मैं कफ सिरप पीने लगती हूं। क्या ऐसा करना सही है ?

जवाब- सर्दी-खांसी एक जनरल टर्म है। लगातार 5-7 दिन से ज्यादा सर्दी-खांसी होने पर डॉक्टर के पास जाएं। डायग्नोसिस के बाद बीमारी और जरूरत के अनुसार डॉक्टर कफ सिरप लिखते हैं। अपने मन से कोई भी कफ सिरप नहीं पीनी चाहिए।

सवाल 2- अक्सर हम खबरों में पढ़ते हैं कि कफ सिरप पीने से मौत हो गई। क्या मैं जो कफ सिरप पी रहा हूं, उससे भी ऐसा हो सकता है ?

जवाब -बिना डॉक्टर की सलाह के मनमाने तरीके से कफ सिरप पीना बहुत खतरनाक हो सकता है। बड़ों और बच्चों को दी जाने वाली कफ सिरप में भी काफी अंतर होता है। अगर आप डायग्नोसिस के बाद डॉक्टर की सलाह पर कफ सिरप ले रहे हैं, तो ये सेफ है।

सवाल 3- हमारे देश में अक्सर लोग कफ सिरप बिना डॉक्टर की सलाह के पीते हैं, इससे शरीर को क्या नुकसान है?

जवाब- आम तौर से लोगों को पहले सर्दी होती है फिर खांसी है। शुरुआत में ही खांसी की दवा लेने की जरूरत नहीं। आपको पहले गर्म पानी पीना चाहिए, गार्गल करना चाहिए। डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

खांसी दो तरह की होती है

सूखी और बलगम वाली। दोनों का इलाज और दवाई अलग है। लोग जाते हैं अपने मन से मेडिकल से दवाई लेकर खाते हैं। इससे तबीयत ज्यादा बिगड़ती है। उसके बाद वे डॉक्टर के पास जाते हैं। याद रखें कि दवाई सही मात्रा में ली जाए, तो साइड इफेक्ट के चांस भी कम होते हैं।

सवाल 4- ये कोडीन वाली कफ सिरप का क्या चक्कर है? इसे बैन करने की मांग क्यों उठती है?

जवाब- कुछ कफ सिरप यानी खांसी की दवाई में कोडीन मॉर्फीन नाम का केमिकल होता है। जो अफीम ग्रुप का है। लंबे समय तक पीने से बॉडी पर कोडीन का असर बुरा होता है। जिसे एक बार आदत लगती है, उसे बार-बार कोडीन की जरूरत पड़ती है।

कोडीन वाले कफ सिरप इस तरह आपको नुकसान पहुंचाएगी

  • शरीर में बार-बार कोडीन जाने से यह धीमा जहर यानी स्लो पॉइजन जैसा काम करने लगता है।
  • कोडीन की लत लगने के बाद जैसे ही आप छोड़ने की कोशिश करेंगे, तो इसकी वजह से एंग्जायटी, डिप्रेशन, लगातार नींद आना, भूख न लगना, पेट दर्द होना और वेट लॉस जैसी प्रॉब्लम होगी।
  • अचानक शरीर को कोडीन सप्लाई मिलनी बंद हो जाए, तो ये जानलेवा हो सकता है। इसके नशे को दूर करने के लिए रिहैब सेंटर जाने की नौबत आ सकती है।

सवाल 5- क्या कोई ऐसा भी कफ सिरप है, जो सेफ है?

जवाब – कई तरह के कफ सिरप मार्केट में उपलब्ध हैं। आपकी सर्दी-जुखाम का कारण क्या है- एलर्जी, अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, निमोनिया या कुछ और। कौन-सी कफ सिरप आपके लिए सेफ है ये सही डायग्नोसिस, उम्र और मेडिकल हिस्ट्री पर निर्भर है। अगर कोई हार्ट संबंधी बीमारी है, तो उस व्यक्ति को अपने मन से कोई भी कफ सिरप नहीं लेनी चाहिए।

सवाल 6- किन राज्यों में कौन सी कफ सिरप बैन है, इसकी कोई लिस्ट है क्या?

जवाब- नार्थ-ईस्ट, पश्चिम बंगाल और बिहार में कोडीन बेस्ड कफ सिरप को सबसे ज्यादा लोग नशे के तौर पर लेते हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक से भी कफ सिरप के नशे के तौर पर बढ़ते इस्तेमाल की रिपोर्ट आई।

2017 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने DCGI से इसकी अवेलिबिलिटी घटाने के लिए कहा था। NCB से हस्तक्षेप के बाद कई दवा बनाने वाली कंपनियों ने अपने फेमस सिरप में इसकी मात्रा को बदला है। जैसे- एलेंबिक फार्मा ने अपने ग्लायकोडीन से कोडीन को ही हटा दिया है।

लगातार ऐसे मामले सामने आने की वजह से सरकार ने कफ सिरप के मिसयूज को चेक करने के लिए एमएस भाटिया कमिटी बनाई। इस कमिटी ने सरकार से कोडीन बेस्ड 14 कफ सिरप्स को बैन करने की मांग की थी।

इसमें फाइजर, एबोट, लेबोरेट, जैसी कंपनियों की कफ सिरप शामिल हैं। मार्च 2016 में सरकार ने 350 फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन दवाइयों को गैर-जरूरी मानते हुए बैन लगाया था। इनमें कोरेक्स और फेंसिड्रिल कफ सिरप भी शामिल थी।

कफ सिरप में ये कॉम्बिनेशन हैं खतरनाक, नाम पढ़ लें और याद रखें

गाम्बिया में हुए मामले के बाद WHO ने रिपोर्ट में कहा कि कफ-सिरप में डाई एथिलीन ग्लाइकोल(diethylene glycol) और इथिलीन ग्लाइकोल (ethylene glycol) की इतनी मात्रा है कि ये इंसानों के लिए जानलेवा हो सकती है। दरअसल, इन कंपाउंड की वजह से भारत में भी 33 लोगों की जान जा चुकी है, लेकिन इन कंपाउंड पर बैन नहीं लगाया गया है।

इसके अलावा ये कॉम्बिनेशन भी डेंजरेस हैं

  • कोडीन + क्लोरफेनिरामाइन
  • कोडीन +क्लोरफेनिरामाइन + मेथेनॉल
  • कोडीन + ट्राइप्रोलिडीन
  • फोलकोडीन या फोलकोडाइन
  • प्रोमेथाजिन
  • इन कॉम्बिनेशन की दवाएं अलग-अलग नामों से अभी भी मार्केट में उपलब्ध हैं। जैसे- कोरेक्स टी, फेंसिड्रिल, टोस्सेक्स, एस्कोरिल सी, कोडिस्टार, प्लेनोकफ और टेडीकॉफ हैं।

राज्य सभा में भी उठी थी रोक लगाने की मांग

इसी साल मार्च में मध्य प्रदेश के राज्यसभा सदस्य अजय प्रताप सिंह, तमिलनाडु से डॉ कनिमोई. केरल से डॉ वी. सिवादासन, एलामारम करीम, महाराष्ट्र से फौजिया खान और ओडिशा से अमर पटनायक आदि सांसदों ने ऐसे कफ सिरप पर रोक की मांग की थी।

सिंह ने कहा था कि कोरेक्स सिरप का यूज उपचार से ज्यादा नशे के लिए होता है। इसके उपयोग से दिमाग और शरीर पूरी तरह सुन्न हो जाता है।

सर्दी-जुकाम होने पर कफ सिरप की जगह क्या ले सकते हैं

सवाल 7- कफ सिरप की लत लग गई हो, तो उसे कैसे छुड़ाएं ?

जवाब-

  • एडवांस कोडीन एडिक्शन को दूर करने के लिए अपने जिले के रिहैब सेंटर (डी एडिक्शन सेंटर) की मदद ले सकते हैं।
  • जो लोग लंबे समय से कफ सिरप को नशे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें इस लत को छुड़ाने के दौरान कुछ विथड्राल सिंप्टम्स आएंगे- जैसे सिर दर्द, चक्कर आना, एंग्जायटी, पेट में दर्द, भूख न लगना होना।
  • इस दौरान कई लॉन्ग टर्म साइकोलॉजिकल सिंप्टम्स भी आ सकते हैं। जैसे- बिना कारण दुखी होना, रोना, चिल्लाना और डिप्रेशन में जाना भी।
  • डी एडिक्टशन सेंटर में अपना कोर्स पूरा करने के बाद किसी प्रकार की इमोशनल-मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम होने पर साइकेट्रिस्ट से कंसल्ट करें।

सवाल 8- गाम्बिया का मामला बच्चों का है। बच्चों को कफ सिरप देते वक्त क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

  • बीएमजे (मेडिकल जर्नल) में छपी एक रिसर्च के मुताबिक 6 साल से कम उम्र के बच्चों को ओवर द काउंटर यानी बिना डॉक्टरी सलाह के कफ सिरप देना नुकसानदायक हो सकता है।
  • कफ सिरप में मौजूद एंटीहिस्टामिन जो आमतौर पर नाक और गले में कफ से राहत देने का काम करता है, वो बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • बच्चों को दिन में 2 चम्मच से ज्यादा कफ सिरप देने पर बहुत ज्यादा नींद आना, सांस लेने में परेशानी होना, उलटी होना, हार्ट रेट बढ़ने जैसी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।
  • बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के लंबे समय तक कफ सिरप पिलाने से हार्ट, किडनी और लीवर जैसे वाइटल ऑर्गेंस के डैमेज होने का रिस्क होता है।

नोट– खांसी लंबे समय चल रही है, तो किसी भी सरकारी केंद्र पर जाकर खखार की जांच कराएं, टीबी होने की आंशका हो सकती है।

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