मध्यप्रदेश न्यूज़: घर पर हो रही डिलेवरी, अब गंभीर गर्भवतियों को प्रसव के हफ्तेभर पहले किया जाएगा एडमिट

मध्यप्रदेश न्यूज़: सरकारें भले विकास के दावे करे लेकिन हकीकत में आज भी गांव मूलभूत सुविधाओं से अछूते हैं। मप्र के करीब 1918 गांव ऐसे हैं जहां एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती । ऐसे में गर्भवती महिलाएं हों या दूसरे गंभीर मरीज उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस गांवों में नहीं पहुंच पाती। प्रदेश के दूरस्थ गांवों में हालात ऐसे हैं कि ज्यादातर प्रसव घर पर ही कराने पड़ते हैं ऐसे में हाई रिस्क गर्भवतियों की डिलेवरी घर पर होने से जच्चा और बच्चा दोनों की जान पर बन आती है। कई बार तो ज्यादा हालत बिगड़ने पर प्रसूता या नवजात दम तोड़ देते हैं। प्रसूताओं और नवजातों की मौतों को रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्री डॉ.प्रभुराम चौधरी के निर्देश पर डिलेवरी प्वाइंट्स पर (प्रसव की सुविधा वाले अस्पताल) बर्थ वेटिंग होम बनाए जाएंगे। इनमें गंभीर गर्भवती महिलाओं को करीब एक हफ्ते पहले भर्ती कर निगरानी की जाएगी ताकि प्रसव के दौरान खतरे को कम किया जा सके और जच्चा-बच्चा की जान बच सके।

सबसे ज्यादा बड़वानी के गांवों में नहीं पहुंच पाती एंबुलेंस

जिला पहुंच विहीन गांव
बड़वानी 278
बैतूल 229
छतरपुर 132
धार 84
मंड़ला 73
बड़वानी 72
विदिशा 70
नर्मदापुरम 67
खरगोन 66
श्याेपुर 56
पन्ना 54
हरदा 53
सतना-भिंड 39
देवास, बुरहानपुर 36
झाबुआ 32
सीहोर 30
सीधी 28
अनूपपुर 26
शहड़ोल, नीमच, छिंदवाड़ा 25
सिवनी 24
कटनी, सिंगरौली 23
अलीराजपुर 20
रतलाम 16
इंदौर 15
अशोकनगर 14
भोपाल- उज्जैन 13
मंदसौर, दतिया 9
उमरिया, शाजापुर, डिंडोरी 6
राजगढ़ 5
कुल 1918

डिलेवरी की सुविधा वाले अस्पतालों में बनेंगे बर्थ वेटिंग होम

मध्यप्रदेश न्यूज़: हाई ब्लड प्रेशर(बीपी), एनीमिया (खून की कमी), मोटापा, अति कम वजन, ठिगनापन जैसी समस्याओं से कई हाई रिस्क गर्भवती महिलाएं जूझ रहीं हैं। इन हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की डिलेवरी के दौरान जच्चा और बच्चा की मौत के रिस्क को कम करने के लिए अब स्वास्थ्य विभाग डिलेवरी प्वाइंट्स (प्रसव की सुविधा वाले अस्पताल) पर बर्थ वेटिंग होम बनाएगा। डिलेवरी प्वाइंट्स के मेटरनिटी विंग या प्रसूति वार्ड में ही पर 6 से 10 बिस्तरों के बर्थ वेटिंग होम बनाए जाएंगे। इनमें हाई रिस्क गर्भवती महिला को प्रसव की संभावित तारीख से करीब एक हफ़्ते पहले ही भर्ती कर उसकी देखभाल की जाएगी। ताकि डिलेवरी के दौरान अचानक स्थिति बिगड़ने से रोका जा सके।

इन समस्याओं वाली गंभीर गर्भवतियों को किया जाएगा भर्ती

  • पहले की डिलेवरी सिजेरियन हुई हो
  • पीआईएच (गर्भावस्था के दौरान हाई बीपी )
  • गंभीर एनीमिया
  • एपीएच
  • बीओएच- हेबिचुअल एर्बाशन(कई गर्भपात हुए हों) , प्रीवीयस हिस्ट्री ऑफ स्टिल बर्थ, निओनेटल डेथ, मालफार्म्ड बेबी
  • ग्रांड मल्टीपैरा
  • बांझपन के इलाज के बाद गर्भधारण हुआ हो
  • 20 वर्ष से कम और 35 वर्ष से अधिक आयु वाली महिलाऐं।
  • पिछले प्रसव की जटिलताएं- स्टिल वर्थ, निओनेटल डेथ, मालफाड बेबी, जुडवां बच्चे
  • चिकित्सकीय जटिलता हृदय रोग, हेपेटाइटिस, मलेरिया, डायबिटीज एवं हाइपरटेंशन

मप्र में हाई रिस्क गर्भवतियों की संख्या- 3 लाख 88 हजार

जिला रजिस्टर्ड कुल गर्भवती हाई बीपी की शिकार गंभीर एनीमिया ग्रस्त
रीवा 10948 832 290
मंड़ला 5227 318 124
अलीराजपुर 5083 274 121
भोपाल 13901 679 326
सीधी 6312 268 109

मप्र के माथे पर शिशु और मातृ मृत्यु का कलंक, फिर भी नहीं सुधर रहे कई जिलों के अफसर

प्रेग्नेंसी रजिस्ट्रेशन में फिसड्‌डी 10 जिले- देश में सबसे ज्यादा नवजातों और प्रसूताओं की मौतों के मामले मप्र से सामने आते हैं। इसके बावजूद गर्भवती महिलाओं के रजिस्ट्रेशन से लेकर प्रसव पूर्व जांचें कराने और हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बाहर लाने में कई जिलों में लापरवाही हो रही है। एनएचएम की ताजा रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में 51.3% गर्भवती महिलाओं का ही पंजीयन हो रहा है। बीते अप्रैल से अगस्त के बीच शिवपुरी, पन्ना, टीकमगढ़, भिंड, बुरहानपुर, दतिया, सीधी, आगर-मालवा, छतरपुर अशोकनगर में 50 फीसदी से भी कम गर्भवती महिलाओं का पंजीयन किया गया।

चार ANC चेकअप में फिसड्‌डी प्रमुख 10 जिले

 जिन जिलों में सबसे ज्यादा शिशु मृत्यु और कुपोषण के मामले हैं ऐसे शिवपुरी, पन्ना, टीकमगढृ, उमरिया, दतिया, आगर-मालवा, अशोकनगर, विदिशा, कटनी, उज्जैन में 10 फीसदी से भी कम गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांचें हो रहीं हैं।

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