हक के लिए भटक रहे मंदसौर के किसान: किसान 3 साल से सोयाबीन का भावांतर और 2 साल से गेहूं खरीदी के बोनस का कर रहे इंतजार

पिछले 3 सालों से बिमा राशि का इंतजार कर रहे मंदसौर के किसान 2022

पिछले 3 सालों से मंदसौर जिले के किसानों की किस्मत खराब चल रही है क्योंकि रबी की फसल है या खरीफ की फसल प्राकृतिक आपदाओं और विभिन्न प्रकार की बीमारियों के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो ही जाती है और अंत में जाकर किसान को नुकसान ही भुगतना पड़ता है। मंदसौर के किसान पिछले 3 सालों से सोयाबीन का भावांतर राशि और पिछले 2 सालों से गेहूं खरीदी के बोनस और बीमा राशि का इंतजार कर रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा अभी तक किसानों को बीमा राशि नहीं दी जा रही है। किसान प्रति बर्ष अपनी सोयाबीन की भांवातर राशि प्राप्त करने के लिए पिछले 3 सालों से इंतजार कर रहे हैं। सिर्फ यहीं नहीं किसानों को पिछले 2 सालों से समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने पर भी राशि प्राप्त नहीं हुई है और किसान इसका भी इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा किसान बीमा क्लेम राशि का भी इंतजाम भी कर रहे हैं। 

बाढ़ के बाद हुई नुकसानी की राशि भी नहीं पहुंची है किसानों के पास 

सरकार किसानों को हुए नुकसान की पर भाई करने की घोषणा तो कर देती है लेकिन उसका फायदा किसानों तक नहीं पहुंचाती है। जिले में बाढ़ आने के समय किसानों को काफी नुकसान हुआ था जिसके बाद सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए 212 करोड़ की राशि देने का ऐलान किया था लेकिन अभी भी किसानों को इसका इंतजार करना पड़ रहा है। 8 जनवरी 2022 को हुई ओलावृष्टि मैं भी सरकार द्वारा किसानों को राहत के नाम पर कुछ नहीं दिया गया है। वर्ष 2018 में किसानों ने सोयाबीन भावांतर राशि में बेची थी। उस समय लगभग 44410 किसानों ने 9 लाख 18 हजार 689 क्विंटल सोयाबीन बेची थी। इसको 3 साल हो चुके हैं लेकिन किसानों को अभी भी इसका इंतजार है। प्रदेश में सत्ता पर राजनीतिक दल बदलने के कारण किसानों की राशि उलझ गई थी, जिसका अभी तक किसानों को इंतजार है। 

कांग्रेस और बीजेपी की लड़ाई में किसानों को झेलना पड़ रहा नुकसान

प्रदेश में जब कांग्रेस सरकार थी तब लगभग 24313 किसानों ने गेहूं समर्थन मूल्य की खरीदी पर बेचे थे। उस समय सरकार ने घोषणा की थी कि हर किसान को एक क्विंटल पर ₹160 समर्थन मूल्य की राशि दी जाएगी। गेहूं खरीदी होने के बाद सरकार बदल दे और किसानों को दी जाने वाली समर्थन मूल्य की 20 करोड़ 86 लाख 92 हजार 767 रूपए की राशि बकाया ही रह गई और किसान अभी तक इसका इंतजार कर रहे हैं। पिछले साल रिकॉर्ड तोड़ किसानों ने 1 लाख 64 हजार किसानों ने फसल बीमा करवाया था जिसकी क्लेम राशि का इंतजार अभी तक किसानों को करना पड़ रहा है। यानी कि प्रदेश में सरकार किसानों को राहत देने के लिए घोषणा जरूर कर देती है लेकिन कई सालों तक किसानों को राशि का इंतजार करना पड़ रहा है। किसानों से राहत की उम्मीद लिए बैठे हुए हैं लेकिन सरकार किसानों की दिक्कत को समझ नहीं रही है।

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