मंदसौर जिले में इस सीजन की पहली बार पड़ी कड़ाके की ठंड 2021
मंदसौर जिले में इस सीजन की सबसे कड़ाके की ठंड बीती रात को पड़ी। पश्चिमी विक्षोभ के चलते मंदसौर जिले में शीतलहर चल रही है। शीतलहर चलने के साथ-साथ रोजाना तापमान में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। शीतलहर के कारण कड़ाके की ठंड का असर रोजाना बढ़ता जा रहा है। पिछले दो दिनों में शीतलहर का असर इतना बढ़ गया है कि पिछले दो दिनों में रात का तापमान 7 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। शीतलहर के साथ ही सोमवार की रात इस सीजन में पहली बार पाला गिरा है। इस कारण किसानों के खेतों में खड़ी फसलों और खेतों की मेढ़ पर बर्फ की परत जम गई है। किसानों की फसलों पर सुबह 8:00 बजे तक बर्फ जमी रही है। इस
कृषि विभाग ने फसलों को पाले से बचाने के उपाय बताएं है
कृषि विभाग ने इसके लिए किसानों को फसलों पर गिरने वाले पाले से बचाव के लिए किसानों को निर्देश भी दिए हैं। तेज हवाएं चलने के कारण पिछले दो दिनों में न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस पर आ गया है। रविवार सोमवार की रात कड़ाके की ठंड होने के कारण किसानों के खेतों में पाला गिरा। देर सुबह तक खेतों में ओगी फसलों के पत्तों पर बर्फ की परत जमी रहीं। किसानों ने जब अपनी फसल पर ऐसी स्थिति देखी तो वह मायूस हो गए। किसानों का कहना है कि रात को इतनी कड़ाके की ठंड पड़ी की फसलों पर बर्फ की चादर जम गई और फसलों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। जिले में सीजन सीजन में यह पहली बार फसलों पर पाला गिरा है। न्यूनतम तापमान 4 डिग्री और अधिकतम तापमान 21 डिग्री दर्ज हुआ है।
देश के 30 सबसे ठंडे शहरों में प्रदेश के 5 शहरों का नाम
आंकड़ों से पता चला है कि देश के 30 सबसे ठंडा शहरों में मध्य प्रदेश के 5 शहरों का नाम आ रहा है जहां पर कड़ाके की ठंड पड़ रही है। शीतलहर तेज होने के कारण मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत में ठंड की ठिठुरन अचानक बढ़ गई है। इसका असर मंदसौर जिले में पिछले 2 दिनों में देखने को मिला है जहां मंदसौर जिले के लगभग सभी गांव में फसलों पर सुबह बर्फ जम गई। यहां तक कि खेतों की मेढो पर भी बर्फ जम गई। किसानों का कहना है कि ठंड के इस मौसम में पहली बार ठंड का इतना असर देखने को मिला है। किसानों के अनुसार अगर ठंड का असर ऐसे ही बना रहा तो फसलों को काफी नुकसान पहुंच सकता है। कड़ाके की ठंड के कारण फसलों पर बर्फ जम गई और सुबह धूप निकलने के कारण फसलें मुरझा रही है। अगर ऐसा ही रहा तो किसानों को काफी नुकसान पहुंच सकता है।