मंदसौर: भगोर में अंगारों से भरी चूल से निकले भक्त, मन्नत पूरी करने की बरसों से चली आ रही है प्रथा

 

मंदसौर के भगोर गांव में नंगे पैर अंगारों पर से निकलते हैं भक्त 2021

पिछले कई वर्षों से माता रानी से जुड़ी अजीब प्रथाएं चलती आ रही है जिन पर भक्त आज भी पूरा विश्वास रखते हैं। ऐसा ही मंदसौर जिले के सीतामऊ तहसील में चंबल नदी के किनारे स्थित एक छोटा सा गांव भगोर की यह प्रथा अजीब भी है और बड़ी संख्या में भक्त इस पर विश्वास भी रखते हैं। इस गांव में माता रानी के भक्तों द्वारा नवमी के दिन विसर्जन के साथ-साथ अंगारों की धूल भी जलाई जाती है। गांव के लोग इसे वाडी विसर्जन कहते हैं। आस्था और भक्ति से सराबोर भक्त अंगारों पर चलकर अपने भक्ति की अग्नि परीक्षा देते हैं। सिर्फ इसी गांव में ही नहीं बल्कि जिले के कई गांवों में इस प्रकार की प्रथाओं का आयोजन आज भी होता आ रहा है। 9 दिन गरबा खेलने के बाद आखरी दिन हवन हुआ और उसके बाद चूल जलाई गई।

8 फीट लंबी चूल को देसी घी और लकड़ियों से किया जाता है प्रज्जृवलित

जानकारी में पता चला है कि हवन के बाद भक्तों द्वारा लगभग ढाई फीट चौड़ी और 8 फीट लंबी चोर बनाई जाती है। इसमें भक्तों द्वारा सूखी लकड़ियां और कोयले डाले गए। इसके बाद ग्रामीणों ने देसी घी डालकर पूजा अर्चना कर विधि विधान से अग्नि प्रज्वलित की। इसके बाद माता रानी के 200 से अधिक वक्त इन जलते हुए अंगारों पर से नंगे पांव निकले। यह प्रथा कोई नई नहीं है बल्कि कई वर्षों से गांव में यह प्रथा चली आ रही है और आज तक किसी भी भक्त को इससे नुकसान नहीं हुआ है। भक्तों की मन्नत पूरी होने पर अपनी श्रद्धा से माता रानी के प्रति भक्ति प्रस्तुत करने के लिए नंगे पांव अंगारों पर चलते हैं। बड़ी संख्या में भक्तों का माता रानी पर विश्वास है।

आज तक नहीं हुआ है कोई हादसा

बुजुर्गों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से गांव भगोर मैं यहां पर था चली आ रही है लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार का हादसा नहीं हुआ है। भक्तों का कहना है कि यह सब माताजी के प्रति भक्ति और आस्था का ही कमाल है। चुल्के इन जलते अंगारों पर निकलने से आज तक किसी भी भक्तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है और नाही कोई भक्त चोटिल हुआ है। इस प्रथा से ना ही किसी प्रकार की घटना हुई है। माता रानी के प्रति भक्तों की इतनी आस्था है कि सिर्फ बड़े युवा लोग ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे बच्चे भी बेखौफ होकर अंगारों पर दौड़ कर निकल जाते हैं। यह देखने के लिए आसपास के गांव से भी बड़ी संख्या में भक्त वहां पर पहुंचते हैं।

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