MANDSAUR SHIVNA SHUDDIKARAN PLAN 2021
पिछले 3 सालों से शिवना नदी को शुद्ध करने के लिए नाले को रोकने का कार्य सिर्फ कागजों में ही चल रहा है। नाले को शुद्ध करने के लिए 3 सालों से इसकी डीपीआर अटकी हुई है। इसके लिए 170 करोड की मंजूरी तो ठीक अभी तक डीपीआर भी फाइनल नहीं हो पा रही है। शासन ने नगरपालिका को डीपीआर रिटर्न भेज दी है और इसमें संशोधन करने के लिए कहा है लेकिन नगरपालिका को इसमें संशोधन करने में पसीने छूट गए। नगर पालिका ने फिर से डीपीआर बनाने वाली एजेंसी को ढूंढा तो पता चला कि नगर पालिका ने नियमों के विरुद्ध पहले ही एजेंसी को भुगतान कर दिया है। काम के एवज में जितना भुगतान नहीं करना था उससे अधिक नगरपालिका ने एजेंसी को कर दिया है।
डीपीआर में संशोधन करने में नगरपालिका का पसीना छूट गया
नगर पालिका द्वारा एजेंसी को पहले ही भुगतान कर देने के बाद संशोधन करने में अब आनाकानी लंबे समय से चल रही थी। नगर पालिका ने मामले में संबंधित हों को नोटिस जारी किया और एजेंसी पर सख्ती करी तो उसके बाद जाकर संशोधन हुआ। अब यह डीपीआर फिर से शासन को भेजी जाएगी। हालांकि अभी संशोधन होना बाकी है। अभी तो नगरपालिका के पास इतने बड़े प्रोजेक्ट को मेंटेन करने के लिए कोई स्पेशल अधिकारी भी नहीं है। इसलिए यह प्रक्रिया इतने सालों से चल रही है और अभी तक कागजों से बाहर नहीं आ पाई है। डीपीआर को मंजूरी करवा देने वाली प्लानिंग कोई नहीं कर पा रहा है। इसलिए शासन द्वारा बार-बार डीपीआर संशोधन के लिए आ रही है।
मंदसौर अमृत शहर में शामिल लेकिन नगरपालिका नहीं रोक पर ही गंदा नाला
नगरपालिका का शिवना शुद्ध करने का प्लान अभी तक कागजों से बाहर नहीं आ पाया है। मंदसौर जिले के अलावा आसपास के जिलों में इसके लिए कार्य शुरू हो चुका है लेकिन मंदसौर में सीवरेज प्लान बड़ी-बड़ी घोषणाओं और दावों के बाद भी सिर्फ कागजों में ही चल रहा है। मंदसौर अमृत सिटी मिशन में शामिल है लेकिन सच्चाई में नदी में मिल रहे नाले को रोकने के लिए अभी तक कागजी कारवाही ही चल रही है। इस योजना के लिए बजट और वित्तीय मंजूरी सबसे बड़ा विषय बनी हुई है। सबसे मुख्य कारण मंदसौर नगर पालिका के पास इस प्रोजेक्ट को संभालने के लिए कोई सक्षम अधिकारी नहीं है। इसी कारण अभी तक डीपीआर को मंजूरी नहीं मिली है और बार-बार संशोधन के लिए भेजी जा रही है।डीपीआर में अभाव के कारण शिवना नदी गंदा नाला बन चुकी है और अभी भी इस को शुद्ध करने का कार्य सिर्फ कागजों में ही चल रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय बड़ा जल संकट पैदा कर सकता है इसलिए जल्द से जल्द नाले को शिवना में मिलने से रोकना चाहिए।