मध्य प्रदेश के कॉलेजों में अब महाभारत और रामायण भी पढ़ाई जाएगी, कई को हो रही आपत्ति

 Ramayan, Mahabharata in Mp college Course

मध्यप्रदेश में कॉलेजों की पढ़ाई धीरे-धीरे बदलती जा रही है। सर्वप्रथम मेडिकल शिक्षा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक के संस्थापक डा. हेडगेवार के विचारों को शामिल किया गया था और अब मध्य प्रदेश सरकार ने एक रोचक फैसला लिया है जिसमें कहा गया है कि अब मध्य प्रदेश के कॉलेज में छात्रों को रामायण, महाभारत और रामचरितमानस भी पढ़ाई जाएगी। मध्य प्रदेश शासन के इस फैसले ने सिर्फ छात्रों को हीं नहीं बल्कि लोगों को भी आश्चर्य कर दिया है। मध्य प्रदेश के कॉलेजों में अब छात्रों के लिए नया अध्याय शामिल होने जा रहा है।

महाभारत, रामायण और रामचरितमानस के अध्याय जुड़ेंगे

मध्य प्रदेश के कॉलेज के सिलेबस में अब रामचरितमानस, महाभारत और रामायण के उन पहलुओं को पढ़ाया जाएगा जो अब तक अध्याय में शामिल नहीं थे।BA विषय के पाठ्यक्रम से इसकी शुरुआत की जाएगी। छात्रों को वीर हनुमान, भगवान राम और तुलसीदास जी के बारे में पूरा विस्तार से पढ़ाया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग ने इसको “रामचरित मानस का व्यावहारिक दर्शन” नाम दिया है। बीए विषय में जिन छात्रों ने दर्शन शास्त्र लिया है उनको सबसे पहले यह पढ़ाएं जाएंगे।

100 नंबर का होगा पेपर

खास बात यह रखी है कि यह छात्रों के लिए वैकल्पिक होगा और इसके लिए 100 नंबर की परीक्षा भी ली जाएगी। रामायण ,महाभारत और रामचरितमानस को हिंदी और दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर पढ़ाएंगे। उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने बताया कि यह धर्म तंत्र का वैज्ञानिक आधार है। बच्चे धीरे-धीरे देश की संस्कृति से दूर हो रहे हैं इसलिए हम इसके जरिए बच्चों को संस्कृति से दोबारा जोड़ेंगे। नई शिक्षा नीति में यदि संस्कृत है तो उर्दू भी है। इसी प्रकार अब बच्चों को इनकी भी जानकारी दी जाएगी।

छात्र देश के गौरवशाली अतीत को जानेंगे

उच्च शिक्षा मंत्री यादव जी ने कहा कि हमारे देश के अतीत को बच्चे नहीं जानेंगे तो कौन जानेगा। हाल ही में कुलपति का नाम बदलकर कुलगुरू रख दिया गया है। देश की संपदा और सांस्कृतिक स्थिति की बच्चों को जानकारी देना जरूरी है। हम बच्चों को देश की संस्कृति के बारे में बता रहे हैं। शिक्षा मंत्री यादव जी ने यह भी कहा कि कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि इनके जरिए भगवाकरण किया जा रहा है तो वह सोचते रहिए क्योंकि नई दिल्ली शिक्षा नीति में अगर संस्कृत है तो उसमें उर्दू भी शामिल है।

रामसेतु तोड़ने की साजिश की गई थी

शिक्षा मंत्री यादव जी ने यह कहा कि सभी को यह पता होगा की लंका जाने के लिए रामसेतु का निर्माण किया गया था लेकिन सिर्फ कुछ लोगों को ही पता होगा कि पहले रामसेतु को तोड़ने के लिए भी प्रयास किए गए थे। कॉलेज के छात्रों को रामसेतु के साथ साथ अन्य धरोहरों को जानना जरूरी है इसलिए इन्हें कोर्स में पढाया जा रहा है। इस वजह से नैतिक और धार्मिक शिक्षा भी जरूरी है। छात्र विक्रमादित्य और राजा भोज जैसे महापुरुषों को भी जाने इसके लिए भी व्यवस्था की जाएगी।

इससे छात्रों को क्या फायदा होगा

रामचरितमानस और महाभारत पढ़ने से बच्चों में मानव वादी दृष्टिकोण विकसित होगा ‌ संतुलित नेतृत्व विकास की क्षमता बढ़ेगी। आज का समाज गलत राह पर अधिक जा रहा है इसलिए यह पढ़ने के बाद बच्चों को उन जीवन मूल्यों के बारे में पता चलेगा जिसकी आज के युग में सभी को जरूरत है। छात्र तनाव प्रबंधन और व्यक्तिगत विकास के क्षेत्र में प्रेरक उद्बोधन करता और कुशल वक्ता बनेंगे। इसके अलावा सभी ग्रंथों को पढ़ाई से जोड़ना चाहिए क्योंकि सभी में वैज्ञानिकता शामिल है। इनकी शिक्षा भी छात्रों को दी जानी चाहिए और इस पर व्यवस्था भी की जा रही है।

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