पहले अफलन ने रूलाया और अब खेत में खड़ी-खड़ी सड़ रहीं सोयाबीन, कुछ खेतों में दोबारा उग गई सोयाबीन

 

खरीफ सीजन 2021 किसानों के लिए काफी खराब साबित हो रही है। शुरुआत में कुछ दिनों तक बहुत पानी गिरा तो किसानों ने बुवाई कर दी लेकिन बुवाई करने के बाद कई दिनों तक पानी नहीं गिरा और किसानों की फसलें छोटी ही रह गई और जब बड़ी मुसीबत के बाद थोड़ी बड़ी हुई तो इतना पानी आया कि फसले खेतों में पड़ी पड़ी ही सड़ने लग गई। इसके बाद कुछ दिनों तक मौसम साफ रहा और जब सोयाबीन पक गई और काटने का समय आया तो दोबारा बारिश होने लग गई। लगातार बारिश के कारण अब सोयाबीन ने सड़न पकड़ ली है और कुछ खेतों में तो सोयाबीन दोबारा उगनी शुरू हो गई है।

किसानों को कहीं से नहीं मिल पा रही राहत 

किसान की हर फसल में नुकसान हो रहा है लेकिन कहीं से भी राहत की खबर नहीं मिल रही है। पहले ही जिले के किसान पीला मोजक और अफलन की स्थिति से परेशान थे लेकिन अब लगातार हो रही बारिश के कारण किसान परेशान हो रहे हैं। कुछ खेतों में सोयाबीन अधिक बारिश के कारण दोबारा उगना शुरू हो गई है तो कुछ किसानों की सोयाबीन खेतों में खड़ी खड़ी ही सड़ने लग गई है। इससे उत्पादन तो कम होगा ही लेकिन साथ ही किसानों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है लेकिन कोई सहायता की किरण किसानों को नहीं दिख रही है। हालांकि जिन खेतों में पानी निकासी के लिए व्यवस्था है उनको यह परेशानी नहीं हो रही है लेकिन जिन खेतों में पानी भरा है उन किसानों को इसका सामना करना पड़ रहा है। यही समस्या अब किसानों की चिंता बढ़ा रही है।

शुरुआत से लेकर अंत तक किसान के हिस्से में नुकसान

किसानों को खरीफ सीजन 2021 में शुरुआत से लेकर आखिरी तक सिर्फ नुकसान ही झेलना पड़ा है। सोयाबीन को छोड़कर अन्य फसलें भी धीरे-धीरे खराब होती जा रही है। सभी प्रकार की फसलों में तरह-तरह की बीमारियां लग गई है। हालांकि गरोठ और भानपुरा क्षेत्र के किसानों ने देरी से बुवाई की थी इसलिए वहां पर अभी नुकसान नहीं हुआ है लेकिन मंदसौर मल्हारगढ़ सीतामऊ क्षेत्र में अधिक नुकसान हुआ है। पहले किसानों ने सोयाबीन की बोनी की तो बारिश नहीं होने से बीज खेत में ही सड़ गया और बाद में जब दोबारा बोलने की तो अफलन की स्थिति पैदा हो गईऔर इसका सर्वे हुआ और नुकसान सामने आया। इसके बाद फसल पर पीला मोजक का रोग लग गया। इसके बाद कुछ ही सोयाबीन सही बची थी वह भी अधिक बारिश होने के कारण खेतों में ही चलने लग गई है यानी कि किसानों ने सबसे पहले मांगे बीज खरीदे और आखिरी में आकर किसानों को नुकसान ही मिला। अब जिले के किसानों को पिछले साल और इस साल के मुआवजे का इंतजार है।

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