कब बनेगा गरोठ जिला: लोग 27 सालों से कर रहे हैं संघर्ष, गरोठ पहले जिला ही था

गरोठ जिला कब बनेगा 

गरोठ क्षेत्र के लोग पिछले 27 सालों से गरोठ को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक इस पर कोई विचार तक नहीं किया गया है। गरोठ और आसपास वाले इलाकों के लोग गरुड़ को जिला इसलिए बनाना चाहते हैं क्योंकि मंदसौर से गरोठ काफी दूर पड़ता है और लोगों को एक छोटे से साइन करवाने के लिए भी गरोठ से मंदसौर आना पड़ता है और यह लोगों को काफी महंगा पड़ता है इसलिए पिछले 87 सालों से लोग को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन शासन-प्रशासन इस पर कोई विचार ही नहीं कर पा रहा है।

दोनों सरकारें जिला बनाने के नाम पर बस वोट लेती है

पिछले 27 सालों में गरोठ में दोनों प्रकार की सरकार आकर चली गई है। जब भी चुनाव आता है उम्मीदवार गरोठ को जिला बनाने का वादा करके वोट ले जाते हैं और उसके बाद ध्यान भी नहीं देते। इसीलिए अभी तक गरोठ को जिला बनाने की घोषणा तक नहीं हो पाई है। हाल ही में निवाड़ी को प्रदेश का 52 वा जिला घोषित कर दिया गया लेकिन 29 वर्षों के संघर्ष के बाद भी गरोठ को जिला बनाने का इंतजार ही करना पड़ रहा है।

गरोठ पहले जिला ही था

मिली जानकारी के अनुसार पहले के समय में गरोठ जिला था और इसमें शामगढ़, भानपुरा और रामपुरा तहसीले भी शामिल थी। आज के वर्तमान एसडीएम कार्यालय में कलेक्टर कार्यालय लगता था। वर्तमान के न्यायालय में जिला कोर्ट लगाई जाती थी। पुरानी कन्या शाला में अस्पताल और बड़े स्कूल में तहसील कार्यालय लगता था। लोगों का यही कहना है कि जब यह पहले जिला था तो इसको अभी जिला बनाया जा सकता है।

14 सितंबर 1992 को पहली बार प्रयास किया था

गरोठ को जिला बनाने का प्रयास लोगों द्वारा सबसे पहले 14 सितंबर 1992 को किया गया था। लोगों ने गरोठ को जिला बनाने के लिए लगभग 15 दिनों तक संघर्ष भी किया लेकिन वह असफल रहे और अभी 29 वर्ष हो चुके हैं लेकिन अभी भी लोगों को प्रयास करना पड़ रहा है और गरुड़ को जिला बनाने का इंतजार करना पड़ रहा है। सरकारी चुनाव के समय जिला बनाने का वादा करती है और सत्ता में आने के बाद सब भूल जाती है। 1992 में लोगों द्वारा आंदोलन भी किया गया लेकिन लोगों पर शासन द्वारा लाठीचार्ज किया गया।

200 लोगों को भेज दिया गया था जेल

1992 में जब कुछ आंदोलनकारियों ने कई दिनों तक आंदोलन किया तो पुलिस ने उन पर कार्यवाही की और लगभग 200 से अधिक लोगों को मंदसौर और जावरा जेल भेज दिया गया। इसके बाद लोगों में आक्रोश आ गया और लोग सड़कों पर उतर आए। लोगों का यह आक्रोश देख शासन ने गरोठ को 20 दिनों तक बंद कर दिया था। प्रशासन द्वारा लाठीचार्ज इतनी जोर से किया गया था कि कुछ लोग अस्पताल में भर्ती थे और कुछ लोगों की मौत हो चुकी थी। अभी भी कुछ लोग उसकी पीड़ा झेल ही रहे हैं लेकिन उनको दुख है कि गरोठ अभी तक जिला नहीं बन पाया है।

बजरंग दल और अन्य संगठन गरोठ को जिला ही मानते हैं

1992 से शुरू हुआ संघर्ष अभी तक चल रहा है। प्रदेश के छोटे छोटे शहर जिले बन गए हैं लेकिन गरोठ अभी तक जिला नहीं बन पाया है जबकि गरोठ में 91 ग्राम पंचायतें हैं। पहले तो गरोठ जिले में 88 ग्राम पंचायत रही थी फिर भी इसे जिला बनाया गया था। विश्व हिंदू परिषद, आर एस एस और बजरंग दल अभी भी इसे अपनी दृष्टि से गरोठ को जिला ही मानते हैं। चंबल नदी का बसई से लेकर गांधी सागर तक का हिस्सा मंदसौर और गरोठ जिले की सीमा बन सकता है। इसमें शामगढ़ और सुवासरा तहसील भी शामिल है।

2015 उपचुनाव में शिवराज सिंह ने की थी घोषणा

2015 अप चुनाव के समय लोगों ने दोबारा गरुड़ को जिला बनाने की मांग को मजबूत किया था। लोगों के आक्रोश को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गरोठ में एसडीएम और एसपी कार्यालय खोलने की घोषणा की थी। कुछ दिनों बाद एसडीएम और डीएसपी की नियुक्ति भी हो गई थी अभी तक जिले का दर्जा नहीं दिया गया।

गरोठ जिला क्यों बनना चाहिए

गरोठ को जिला बनाने के पीछे कई सारे कारण है जिसमें मुख्य कारण यह रहेगा कि लोगों को सरकारी कामों के लिए लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है जिससे उनका खर्चा बढ़ जाता है। अगर गरोठ जिला बन जाएगा तो लोगों को लंबी दूरी से राहत मिलेगी और साथ ही लोगों का खर्चा भी बचेगा। गरोठ जिला बनने के बाद गरीब और मजदूर वर्ग को भी लाभ मिलेगा। गरोठ जिला बनने के बाद लोगों को बेहतर और तत्काल स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेगी। लोगों को शिक्षा और समाज के साथ-साथ तत्कालीन प्रशासनिक सहायता मिल सकेगी। लोगों मैं इतना संघर्ष किया लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही दिया गया है जबकि गरोठ को जिला बनाना काफी आवश्यक है। गरोठ को जिला बनाने के आधार स्तंभ भी मजबूत है। आप लोगों को जल्द से जल्द गरोठ के जिले बनने का इंतजार है। लोगों का कहना है कि गरोठ को जिला बनाने के लिए जितने प्रयास हो सकते हैं हम करेंगे और गरुड़ को जिला बना कर रहेंगे।

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