राजनीति में दलाली: Mandsaur नगर पालिका में बाहर और अंदर बैठे लोगों से मिले बिना एक कदम भी नहीं बढ़ती फाइल, नामांतरण में जारी है बिचोलियों का System

 

Mandsaur Nagar Palika 2021

Mandsaur की नगर पालिका में अभी भी बिचोलियों का सिस्टम चल रहा है। Nagar palika में नामांतरण, भवन निर्माण अनुमति से लेकर आम जनता से जुड़ी अन्य जरूरी मुद्दों को शासन ने सिटीजन चार्ट में शामिल जरूरी किया है लेकिन Mandsaur शहर की अनोखी नगरपालिका पर यह लागू नहीं होता है। नगर पालिका में शहर का विकास नहीं नामांतरण ही बड़ा मुद्दा हो गया है। अभी भी नामांतरण एक बड़ा मुद्दा बन कर चल रहा है। दरअसल नगर पालिका में नामांतरण से लेकर भवन निर्माण में अजब गजब खेल चल रहा है। 90 दिन में नामांतरण का नियम होता है लेकिन Mandsaur की गजब Nagar palika में नामांतरण के लिए 2 साल का समय लग रहा है। विवादित तो अपनी जगह लेकिन अविवादित नामांतरण भी नगरपालिका नहीं कर रही है।

लोगों को बार बार काटने पड़ रहे हैं चक्कर

NAGAR PALIKA के इस खेल के कारण लोगों को नगर पालिका के बार बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इसमें भी बड़ी विडंबना तो यह है कि शाखा के अंदर तो ठीक लेकिन नामांतरण कराने के पहले आम लोगों को नामांतरण शाखा के बाहर कुर्सी पर बैठे लोगों से भी मिलना पड़ रहा है। उनसे मिले बिना किसी का नामांतरण नहीं हो रहा है। नगरपालिका के गलियारों में तो ठीक पूरे MANDSAUR शहर में इन लोगों के नाम की याति है। नामांतरण के लिए अपने दस्तावेज लेकर यहां तक पहुंचने वाले लोग बाहर से सुनकर ही इनके नाम पूछते हुए यहां पहुंच जाते हैं। इसके बावजूद नगर पालिका के अधिकारी इससे अनजान है और इस सिस्टम को बदलने की जरूरत भी कोई महसूस नहीं कर रहा है। इसका खामियाजा आम आदमी भुगत रहा है और बार-बार नगरपालिका के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

प्रशासक के बैठते ही जगी थी उम्मीद लेकिन नहीं बदले हालात

नगर पालिका में जनवरी महीने में कार्यकाल खत्म होने के बाद प्रशासन के पास आ गया था तो लोगों को उम्मीद जगी थी कि नामांतरण से लेकर भवन निर्माण अनुमति जो नपा को करना होता है उस में तेजी आएगी और रुके हुए मामलों के निराकरण के साथ समय पर काम हो सकेंगे लेकिन नगरपालिका के अपने प्रभावी SYSTEM के कारण हालात नहीं बदले और आज भी नामांतरण और भवन निर्माण अनुमति के लिए लोग चक्कर ही लगा रहे हैं।अधिकारियों से मिल रहे हैं लेकिन नामांतरण तो ठीक उन्हें यहां ठीक से जवाब तक नहीं मिल रहा है। अभी भी नगरपालिका में डेढ़ हजार से अधिक नामांतरण रुके हुए पड़े हैं और उसके लिए लोग बार-बार नगरपालिका के चक्कर लगा रहे हैं। इस प्रकार अभी भी भ्रष्टाचार रुका नहीं है और डिजिटल जमाने में भी लोगों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है।

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