जिले के अंचल इलाकों में सोयाबीन में अफलन की शिकायत आ रही है। इससे किसानों की चिंता बढ़ती हुई दिख रही है। किसानों ने शासन से सर्वे कर उचित मुआवजा देने की मांग की है। वही किसान का कहना है कि 2019 में अतिवृष्टि से फसल की नुकसानी का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। जानकारों के अनुसार समय पर कीटनाशक का उपयोग नहीं होने और अधिक वर्षा या अधिक बीज बोने से अफलन की समस्या आ रही है। कुचडौद, सेमलिया काजी, सातल खेड़ा, अरनिया गुर्जर, राती खेड़ी सहित करीब 1 दर्जन से अधिक गांव में सोयाबीन की फसल से किसान परेशान है। सभी गांवों के किसानों ने बताया कि दो सोयाबीन फसल की पैदावार नहीं हो पा रही है।
पिछले 2 वर्षों में अतिवृष्टि व अनावृष्टि ने मामला बिगड़ा था
किसानों का कहना है कि पिछले 2 वर्षों में अतिवृष्टि अनावृष्टि के कारण फसलों का उत्पादन नहीं हुआ है यानी कि पिछले 2 वर्षों में इतनी अधिक बारिश हुई है की फसलें खेतों में ही सड़ गई थी और अबकी बार अफलन की स्थिति बन गई है। इसलिए सोयाबीन के कारण किसान आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। सोयाबीन की फसल के फूल झड़ गए हैं। किसानों का कहना है कि 2019 का 75% मुआवजा अभी तक किसानों को नहीं मिला है। पिछले वर्ष पीला मोजक बीमारी किसे हुए नुकसान का मुआवजा भी अभी तक नहीं मिला है। इसमें देरी के मामले में अधिकारी शासन की जिम्मेदारी बता रहे हैं।
किसान जल्द सर्वे करके उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं
मंदसौर जिले के सीतामऊ क्षेत्र के अंचलों में सोयाबीन की फसल पूरी तरह से अफलन की स्थिति में होने से किसान चिंतित हो रहे हैं। किसान कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष सुरेश पाटीदार रावटी, गोविंद पाटीदार, ओम प्रकाश पाटिल साखतली, भगत राम गुर्जर राजनगर, महेश पाटीदार गंगा खेड़ी ने बताया कि शासन द्वारा सोयाबीन का सर्वे जल्द कराना चाहिए। जिम्मेदारों को शीघ्र ही किसानों को उचित मुआवजा देकर राहत प्रदान करनी चाहिए। मौसम खुलते ही किसानों ने फसल में कीटनाशक का छिड़काव करना शुरू कर दिया है। फसलों में ले के प्रकोप होने से किसान परेशान हो रहे हैं। इससे निजात पाने के लिए किसान जुगत में लग गए हैं। पिछले वर्ष भी मुआवजा नहीं मिला इसके लिए यह शासन स्तर का मामला बन गया है। थोड़े दिनों बाद सर्वे किया जाएगा।