मंदसौर जिले में काफी लंबे समय के बाद अच्छी बारिश हो गई और फसलों को जीवनदान भी दे गई। इसके साथ-साथ किसानों की चिंता भी दूर हो गई लेकिन किसानों के सामने नई समस्या खड़ी हो गई है कि सोयाबीन और मूंगफली की फसल पर पीला मोजक ने हमला कर दिया है और धीरे-धीरे फसलें पीली पड़ती जा रही है। कुछ स्थानों पर तो इस बीमारी का इतना प्रकोप हो गया है कि पूरा का पूरा खेत पीला दिखने लगा है। गांव पानपुर, बाज खेड़ी, अरनिया निजामुद्दीन,सेमली,पलवई ,डिगाव सहित मंदसौर जिले के सभी गांव में पीले मजाक का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। यह बीमारी सबसे पहले कुछ पौधे में होती है और धीरे-धीरे पुरे खेत को अपना शिकार बना लेती है।
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताई गई दवाई भी असर नहीं कर रहीं हैं
किसान अब पीले मोजक की बीमारी से लड़ने की तैयारी में लगे हुए हैं। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताई गई दवाई छिड़कने के बाद भी बीमारी पर कोई असर नहीं दिख रहा है। इस कारण किसान चिंता में आ गए हैं। किसानों ने कहा कि हमने दो दो बार सोयाबीन की फसल पर दवाई का छिड़काव कर दिया है लेकिन फिर भी सोयाबीन की फसल से बीमारी नहीं जा रही है। किसानों का कहना है कि फसल पूरी पीली होने के कारण नष्ट होने की कगार पर आ गई है। किसानों को पहले ही सोयाबीन के बीच नहीं होने पर ₹8000 प्रति क्विंटल में बीच खरीदे थे। उसके बाद अब इनमें पीला मोजक की बीमारी लग गई है। अगर ऐसा ही रहा और बीमारी का इलाज नहीं मिला तो किसानों की लागत भी उन्हें नहीं मिल सकेगी।
आप अपनी फसल की सतत निगरानी जरूर करें
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ सीपी पचौरी, वरिष्ठ वैज्ञानिक नरूका एवं श्याम सिंह सारंगदेवोत द्वारा जिले के गांव में जा जाकर सोयाबीन का भ्रमण किया गया। उन्होंने सभी प्रकार की फसलों का निरीक्षण किया। वैज्ञानिकों द्वारा फसल पर सामान्य बीमारी देखी गई और किसानों को कहा गया कि आप अपनी फसल की सतत निगरानी रखें। मौसम खुलते ही बीटासाइलोथीन इमिडाक्लोप्रिड कि 350 मिलीलीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। किसानों को अपनी फसल की ध्यान रखना है और खेत में पानी भरने पर पानी के निकासी की उचित व्यवस्था करनी है। अधिक जानकारी के लिए आप कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क कर सकते हैं।