भोपाल रेलवे मंडल ने ट्रेनों में पावर कोच का इस्तेमाल किया है जिसमें अब यात्रियों को सुकून के साथ-साथ वायु और ध्वनि प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी। पहले जब हम ट्रेन में सफर करते थे तो उसमें स्लीपर या जनरल डिब्बे में कर्कश की आवाज आती थी यात्रियों को निकालने में परेशानी होती थी लेकिन अब रेलवे ने इस समस्या का भी समाधान कर दिया है और अब रेलवे ट्रेनों में डीजल जनरेटर की जगह पावर कोच का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे यात्रियों को सुकून तो मिलेगा ही साथ ही ट्रेनों से होने वाला वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण भी खत्म हो जाएगा। भोपाल रेल मंडल ने भोपाल एक्सप्रेस, जन शताब्दी और हमसफर एक्सप्रेस को हेडफोन जनरेशन प्रणाली से चलाने में सफलता पाई है।
ट्रेनों से होने वाला वायु और ध्वनि प्रदूषण शून्य हो गया है
इसे तीन ट्रेनों में ट्राई किया गया है जिसमें हर बार वायु और ध्वनि प्रदूषण को मापा गया है। इन ट्रेनों में नए पावर कोच लगाए गए थे जिन्हें डिजल जनरेटर के बजाय सीधे इंजन की ओवर हेड इलेक्ट्रिक लाइन से बिजली सप्लाई दी जा रही है।इसको आजमाने के बाद वायु और ध्वनि प्रदूषण शून्य पाया गया। जनरेटर कोच को हटाने के बाद उसकी जगह नया यात्री डिब्बा लगाया जा रहा है। इससे यात्रियों को कंफर्म टिकट मिलने की संभावना बढ़ गई है। इस तकनीकी से डीजल की खपत नहीं होगी और रेलवे हर साल में 7.52 करोड़ की बचत करेगा। इसके साथ-साथ वायु और ध्वनि प्रदूषण भी नहीं होगा। अब यह तकनीक देश के सभी रेल मंडलों में अपनाई जा रही है।
इस तकनीक से ट्रेन में आग लगने की आशंका होगी खत्म
एक सामान्य यात्री ट्रेन में जनरेटर बूगी लगाई जाती है। सभी प्रकार की ट्रेनों में आगे और पीछे की साइड दोनों तरफ जनरेटर होगी लगाई जाती है जो की ट्रेन में चल रहे ऐसी और इलेक्ट्रिक उपकरणों को बिजली पहुंचाने का काम करते हैं। ऐसे में अगर उन रोगियों में छोटा सा शार्ट सर्किट हो जाता है या डीजल लीकेज होने से थोड़ी सी चिंगारी लग जाती है तो पूरी ट्रेन में आग लगने का खतरा हो जाता है। लेकिन अब इस तकनीकी के कारण ट्रेन में आग लगने की आशंका बिल्कुल भी नहीं रहेगी। इन सभी फायदों के साथ इस तकनीकी से यात्रियों को सुकून भी मिलेगा और बेहतर सुविधा भी मिलेगी। अब यात्री ट्रेनों में बिना हिचकिचाहट के सफर कर सकेंगे।