पिछले 3 सालों से किसानों को सिर्फ परेशानी का सामना ही करना पड़ रहा है। पिछले 3 साल किसानों के लिए बड़े नुकसान वाले साबित हुए हैं। मौसम की मार के कारण पिछले 3 सालों से किसानों की जिंदगी बेकार हो गई है। इस वर्ष भी किसानों की सोयाबीन में अफलन की स्थिति पैदा हो गई है जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। शासन द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जाने से जिले में जगह-जगह विरोध शुरू हो गया है। ग्रामीण सोयाबीन की फसल नष्ट कर गायों को खिला रहे हैं। धुंधडका ,बाजखेड़ी, सीतामऊ सहित मल्हारगढ़ तहसील के किसानों ने मंगलवार को जमकर विरोध किया और कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर अपनी समस्या बताएं और मुआवजे की मांग भी की गई। किसानों ने मंदसौर के कलेक्टर मनोज पुष्प से चर्चा करते हुए समस्या से अवगत कराया। कलेक्टर मनोज पुष्पा ने जल्द ही समस्या के समाधान का आश्वासन दिया।
कांग्रेस ने जिले में 21 अगस्त को आंदोलन की चेतावनी दी
किसानों की फसल के नुकसान की ओर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए कांग्रेसमें भी जिले भर में आंदोलन की चेतावनी दे दी है। किसानों का कहना है कि पहले तो सोयाबीन के दामों ने समस्या खड़ी की थी और किसानों ने ₹10000 प्रति क्विंटल के भाव से सोयाबीन खरीदी थी और उसके बाद बोवनी की थी। इस वर्ष सोयाबीन बीज की भी काफी किल्लत आई थी। उसके बाद जब सोयाबीन पर बीमारी आई तो उसके लिए तीन तीन बार दवाई का छिड़काव किया और ट्रैक्टर द्वारा हकाई जुताई भी की गई लेकिन इतने प्रयासों के बाद भी सोयाबीन सही तरह से नहीं उग पाई और सोयाबीन में अफलन की स्थिति पैदा हो गई।
फसल को काटकर गौशाला में ले जा रहे किसान
कुचडौद के राधेश्याम पालरा ने बताया कि सोयाबीन में लगभग ₹100000 का खर्च करने के बाद भी कुछ नहीं मिला तो सारी फसल को काटकर गौशाला में गायों को खिलाने का निर्णय ले लिया। इसमें भी मजदूर सोयाबीन को काटने के लिए ₹300 ले रहे हैं। वर्ष 2019 में भी फसलों का नुकसान हुआ था जिसका 75% मुआवजा अभी तक नहीं मिला है और इस वर्ष भी फसल खराब हो गई। किसानों का कहना है कि सरकार पिछले वर्षों का मुआवजा और इस वर्ष का मुआवजा देकर किसानों की मदद करें। जिला कांग्रेस अध्यक्ष नव कृष्णा पाटिल का कहना है कि वर्तमान खरीफ सीजन की सोयाबीन फसल में अफलन एवं पीला मोजक के कारण भारी नुकसान हुआ है इसलिए शासन को किसानों की मदद करनी चाहिए और इसके लिए जिले में 21 अगस्त को प्रदर्शन भी किया जाएगा। अगर किसानों को इस वर्ष भी मुआवजा नहीं दिया गया तो किसान भारी कर्जे में फस जाएंगे और उसके बाद आत्महत्या जैसी घटनाएं सामने आएगी। इसलिए प्रशासन द्वारा किसानों के खेतों में सर्वे किया जाए और किसानों को उचित मुआवजा जल्दी प्रदान किया जाए ताकि किसानों को ऐसे कदम नहीं उठाने पड़े।