मंदसौर में बिना मुंडेर के बने कुओं का खतरा अभी समाप्त नहीं हुआ है।ऐसे कुओं के कारण हादसे लगातार बढ़ते जा रहे हैं लेकिन प्रशासन अभी भी गंभीर नहीं है। अभी भी जिले के लगभग सभी क्षेत्रों में सड़क किनारे स्थित बिना मुंडेर वाले कुआं में खतरा मंडरा रहा है। जिम्मेदार अधिकारी भी इस मामले में तभी गंभीरता दिखाते हैं, जब कोई हादसा हो जाता है। शनिवार रविवार की रात ग्राम धाकड़ी में एक हादसा हो गया जिसमें तीन युवक कुएं में गिर गए और उसमें से एक की मौत हो गई और दो घायल है। वही पौने 2 साल पहले गांव नालछा के समीप बिना मुंडेर के कुएं में गिरने से एक बालक की मौत हो गई थी।
कलेक्टर ने निर्देश जारी किए थे, लेकिन कार्यवाही नही हुई
नालछा के समीप हुई घटना के बाद कलेक्टर ने निर्देश जारी किए थे लेकिन अभी तक कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई है और ना सभी को ऊपर मुंडेर बन पाई है। बिना मुंडेर के कुएं में आए दिन पशुओं के गिरने से उनकी मौत और घायल होने की घटनाएं आ रही है। बारिश में पानी गिरने के बाद यह कुएं और भी खतरनाक हो जाते हैं। शासन में 4 साल पहले सर्वे किया था और बिना मुंडेर वाले को को चिन्हित किया था लेकिन अभी तक उन पर कार्यवाही नहीं हुई है और ना ही उनकी मुंडेर बन पाई है। यह एक सामान्य खबर हो गई है कि किसी भी स्थान पर बिना मुंडेर वाले कुए में गिरने से लोगों की मौत हो जाती है। घटना होने के कुछ समय बाद अधिकारियों की नजर मामले से हट जाती है।
दो कलेक्टरों ने किए थे प्रयास
सात साल पहले तत्कालीन कलेक्टर शशांक मिश्र ने जिले में बिना मुंडेर के कुओं पर मुंडेर बनाने के लिए अभियान चलाया गया था। उस समय 75 कुए चिन्हित किए गए थे। उसके बाद कलेक्टर का तबादला होने के कारण अभियान बंद हो गया। इसके बाद फरवरी 2015 में तत्कालीन कलेक्टर संजीव सिंह ने इस दिशा में कदम उठाए थे। उन्होंने सभी एसडीएम को निर्देश दिए थे लेकिन फिर भी कुओं पर मुंडेर नहीं बन पाई।इनके बिद आए किसी भी कलेक्टर और अधिकारी ने इस मामले की तरफ ध्यान नहीं दिया। मंदसौर के लिए बहुत सारे कार्य कर चुके एक्टर मनोज पुष्प ने भी इस कार्य को करने के लिए निर्देश दिए थे लेकिन फिर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई।