सोयाबीन के दाम 7600 पार, उद्योगों ने रोका उत्पादन , बारिश नहीं होने से बाजार में सोयाबीन के दाम रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचे

मानसून में आई रुकावट अब सोया प्रदेश के लिए नई मुसीबत बनती दिख रही है।20 जून के बाद से प्रदेश में बारिश का सिस्टम कमजोर पड़ गया है। इसके चलते बाजार में फिर सोयाबीन के दाम स्तर पर पहुंच गए हैं। एन सी डी ई एक्स वायदा मार्केट पर एक हफ्ते में सोयाबीन में 5 फ़ीसदी तेजी आ चुकी है। शनिवार को मध्य प्रदेश के सोया प्लांटों ने सोयाबीन के दाम ₹7650 प्रति क्विंटल तक कर दिए। बारिश की बेरुखी और महंगे सोयाबीन से किसान से लेकर उद्योगपतियों तक की परेशानी बढ़ा दी है। उद्योगों ने प्लांट बंद कर दिए हैं। दोबारा बोवनी की स्थिति बनी तो पहले से महंगा बीज खरीदने वाले किसानों को बीज मिलना ही मुश्किल लग रहा है।

लगातार 2 सालों से प्रदेश में बिगड रही है सोयाबीन की फसल

2 साल से प्रदेश में सोयाबीन की फसल लगातार बिगड़ रही है। 2 वर्षों से सोयाबीन अधिक बारिश होने के कारण बिगड़ रही है तो बीते साल वायरस के प्रकोप से सोयाबीन उत्पादन आधा ही हुआ था। इसके बाद साल भर से सोयाबीन के भाव तेज ही थे। बीते दिनों अच्छी बारिश हुई तो किसानों ने बोवनी कर दी।इंदौर संभाग के संयुक्त संचालक कृषि आलोक मीणा के अनुसार संभाग में 9 से 10 लाख हैक्टेयर सोयाबीन का रकबा है और करीब 60 फीसद बोवनी हो चुकी है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि बारिश होगी और सोयाबीन अच्छी होगी। लेकिन अगर देरी हुई तो फसल को नुकसान पहुंच सकता है।

बीते साल इस साल के मुताबिक आधे दाम भी नहीं थे

शाहजहांपुर के किसान वैभव बिडवाले के अनुसार इंदौर संभाग से ज्यादा सोयाबीन उज्जैन शाजापुर क्षेत्र में बोया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर क्षेत्रों में सोयाबीन बोवनी हो चुकी है। इस साल के मुताबिक पिछले साल किसानों ने सोयाबीन ₹5000 प्रति क्विंटल तक खरीदा था और कुछ किसानों ने तो और भी सस्ती सोयाबीन खरीदी थी। लेकिन इस साल गैर प्रमाणित बीज भी किसान को ₹9000 प्रति क्विंटल के भाव से लाने पर रहे हैं और फिर बोवनी करनी पड़ रही है। कंपनियों के प्रमाणित बीजों के लिए तो किसानों को 10,000 से भी ज्यादा रुपए प्रति क्विंटल के लिए देने पड़े। ऐसे में बारिश की कमी से फसल खराब हुई तो किसानों के पास बीज खरीदने का पैसा नहीं होगा। सोयाबीन खरीदने की बात तो दूर इस बार बीज की काफी कमी दिख रही है तो अगर फसल बिगड़ भी जाएगी तो दोबारा बीज मिलना ही मुश्किल हो जाएगा। कंपनियों ने भी अब सोयाबीन निकालना बंद कर दीजिए इसलिए अब किसानों की फसल बारिश के ऊपर ही निर्भर रहेगी।

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