मंदसौर जिला अस्पताल परिसर में कोई भी जगह खुली नहीं छोड़ी जा रही है। वही पुराने स्मृति चिन्हों पर जेसीबी चल रही है। 1983 में पुलिस आरक्षक द्वारा किए गए गोलीकांड में मारे गए 13 लोगों की याद में बनाए गए स्मृति वन को भी उजाड़ दिया गया है। इसके अलावा यहां पर ही बनी 1935 की ऐतिहासिक रजिया मंजिल को भी तोड़ा जा रहा है। जबकि उसे सहेज करके रखना चाहिए। स्मृति वन में मृतकों की याद में बनाए गए स्तंभ को जेसीबी से तोड़ दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला अस्पताल परिसर में ही चाइल्ड केयर मेटरनिटी यूनिट तैयार की जा रही है। इसके लिए भवन निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। इसके निर्माण के लिए वर्तमान में स्थित महिला व शिशु ओपीडी को भी तोड़ा जाएगा। इसके साथ ही यहां बने स्मृति वन को नेस्तनाबूद करने की तैयारी हो गई है।
स्मृति वन में बना स्तंभ तोड़ दिया गया है
जेसीबी से स्मृति वन में बना स्तंभ तो तोड़ ही दिया गया है साथ ही यहां मृतकों की याद में लगाए गए पौधों को भी काट दिया गया है। यह सारा कार्य गुपचुप तरीके से किया जा रहा है क्योंकि एक बार पहले भी टामा सेंटर निर्माण के लिए स्मृति वन को हटाने पर चर्चा हुई थी पर इसका विरोध शुरू हो गया था। अभी हाल ही में कोरोना से राहत मिलने पर अधिकारियों ने निर्माण का निरीक्षण भी किया। इस दौरान बताया कि निर्माण के लिए वर्तमान महिला व शिशु ओपीडी भवन एवं स्मृति वन को हटाना जरूरी है। इसका विरोध नहीं हो इसके लिए प्रशासन सभी को अभी यह समझा रहा है कि स्मृति वन में लगे स्तंभ को रजिया बिल्डिंग को तोड़कर वहां बनाया जाएगा। जबकि इसकी हकीकत बिल्कुल अलग है।
रजिया मंजिल तोड़कर बनाया जाएगा पार्किंग एरिया
स्मृति वन में बना हुआ स्तंभ जेसीबी द्वारा तोड़ दिया गया है और रजिया मंजिल को भी तोड़ कर पार्किंग एरिया बनाया जा रहा है। सिविल सर्जन डॉ डीके शर्मा ने बताया कि रजिया मंजिल भी जर्जर हो चुकी है और चाइल्ड केयर वह मेटरनिटी यूनिट के लिए जगह की जरूरत है। इसलिए इसे डिस्मेंटल करेंगे। अगर रजिया मंजिल को तोड़ दिया गया तो इनको बनाने के लिए जगह मिल जाएगी। 100 बेड की यूनिट में महिलाओं व बच्चों को आधुनिक चिकित्सा सुविधा दी जाएगी।
एक समय मंदसौर की शान थी रजिया मंजिल
मंदसौर के सुनहरे इतिहास की एक झलक रजिया मंजिल में भी दिखती थी। अपने निर्माण के समय यह शहर का खूबसूरत भवन हुआ करता था। जानकारी के अनुसार 1935 में बोहरा समाज के खान बहादुर साहब ने रजिया मंजिल का निर्माण कराया था। देश सेवा करने पर सिंधिया रियासत ने इन्हें खान बहादुर साहब बेटे को प्रिंस जी का खिताब दिया था।उन्होंने जच्चा-बच्चा वार्ड व रजिया मंजिल का निर्माण कराया था। कई सालों तक इस भवन में अस्पताल का संचालन भी हुआ। इसमें दो कमरे बोहरा समाज की महिलाओं के लिए बुक रहते थे। बाद में अस्पताल का विकास हुआ तो सिविल सर्जन एवं सीएमएचओ कार्यालय संचालित हुए। बाद में सालों तक चिकित्सक और स्टाफ का परिवार यहां पर रहता था। वर्तमान सिविल सर्जन डॉ डीके शर्मा भी इस भवन में निवास कर चुके हैं। अब यह जर्जर हो चुका है और इसे तोड़ा जा रहा है।