मानसुन भटक गया है: बारिश की कमी से सोयाबीन नहीं लहलहाई, किसान परिवार खुद खेत में खींच रहा नाई, फसलो पर भी संकट के बादल

मालवा मे मानसुन का अजब खेल चल ही रहा है।पदेश मे कही भारी बारिश हो रही है तो कही पर किसान बूंद बूंद के लिए तरस रहा है।मंदसौर जिले मे खंड खंड बारिश के कारण कुछ इलाको मे फसलो को नया जीवन मिल गया है, लेकिन कई इलाके ऐसे भी है जहां चिंताजनक हालात बनने लगे हैं।ऐसे ही मंदसौर जिले के गांव बुगलिया क्षैऋ मे किसानो को दोबारा बोवनी के हालात बनने पर खुद को बैल की तरह खेती में जोताई का काम करना पड़ रहा हैं।दर असल इन किसानो के पास ऐसे संसाधन नही है कि वे दोबारा बोवनी वाले खेत मे नया बीज डाल सके।

किसानो को दोबारा करनी पड़ रही है बोवनी

मानसुन की बेरूखी के कारण अब किसानो को दोबारा बोवनी करनी पड़ रही है।बुगल्या, कोचली, गुजरदा इलाके में बहुत किसानो के खेत तो ऐसे हैं जहां आधे खेत मे सोयाबीन अंकुरित हुई और आधे खेत मे बीज खेत मे ही सड़ गया और अब खेत खाली दिख रहा हैं।ऐसे मे दोबारा बोवनी करनी पड़ रही हैं।जहां आधे खेत में सोयाबीन अंकुरित हुई और आधे खेत में बीज जमीन में ही सड़ गया है।

उगी हुई फसल को बिना नुकसान पहुंचाए किसानों ने की बोवनी

 जिस खेत में बोवनी हो चुकी है वह खेत भी खाली दिख रहा है। ऐसे में दोबारा बोनी करना पड़ रही है वह भी जो फसल है खेत में उगी हुई है उसको बिना नुकसान पहुंचाए। क्योंकि इस बार बीच की कीमत भी आसमान पर चली गई थी और किसानों को अब मानसून पर भरोसा नहीं हो रहा है इसलिए खेत में जो फसल खड़ी है उसको बिना नुकसान पहुंचाए किसानों ने दोबारा खाली जगह में बीज को बो दिया है। कोवली गांव में एक किसान बोतलाल ने नाई चलाकर पत्नी के साथ मंगलवार को दोबारा बोवनी की। इसमें वह खुद बैल की जगह नाई खींच रहा था और पत्नी बीज डाल रही थी। किसान का कहना है कि मानसून की खेच से खेत में बीज सड़ जानें के बाद आधे खेत में फसल अंकुरित हुई और आधा खेत खाली ही रह गया।

अधिकांश खेतों में जमीन में सड़ गया बीज 

मंदसौर जिले के क्षेत्र में बारिश की कमी के कारण फसलों पर गहरा संकट मंडरा रहा है। कई ऐसे किसान हैं जहां बोवनी के बाद आधे खेत में बीज सड़ गया है और जमीन से बाहर ही नहीं निकल पाया है। आदि फसल नहीं उठने के कारण खेत खाली दिख रहा है। ऐसे में किसानों को खाली रह गए हिस्से में दोबारा बोवनी करनी पड़ रही है। दिक्कत यह है कि ट्रैक्टर से बुवाई नहीं कर सकते हैं। इसी कारण जो फसल अंकुरित हो चुकी है उसी फसल को बचाकर और बीज लगाने के लिए किसान इस प्रकार का जतन कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *