मध्यप्रदेश की भयंकर कुप्रथा: बचपन में कर दी जाती है शादी, बड़े होने पर मना कर दिया तो भरना पड़ता है बड़ा मुआवजा, समाज की पंचायत भी घर में आग लगाने की दे देती है इजाजत

 

हमारे देश में हर धर्म में कोई ना कोई कुप्रथा अवश्य होती है और यह प्रथाएं धर्म को धर्म की जगह धंधा बना देती है। समय के साथ साथ धर्म अपनी इन प्रथाओं में बदलाव करता रहता है और यही सही मायने हैं। इन प्रथाओं को समाप्त करना इतना आसान नहीं है क्योंकि हर धर्म के लोग इन प्रथाओं को अपने धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। आज हम आपको मध्य प्रदेश में हिंदू धर्म की ऐसी कुप्रथा के बारे में बताइए जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते। जनजातियों की भात हमारे देश में अलग-अलग प्रथाएं भी प्रचलित है जिन्हें रीति रिवाज, परंपरा और संस्कारों का नाम लेकर इन को बढ़ावा दिया जाता है जिससे कहीं ना कहीं महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचती है। मध्यप्रदेश में ऐसी ही एक प्रथा है जिसे कुप्रथा के नाम से जाना जाता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ।

जानिए क्या है मध्यप्रदेश की यह कुप्रथा

आपको पता होगा कि देश में शादियां करने के लिए आटा साटा प्रथा अपनाई जाती है।इसी प्रथा के कारण राजस्थान के नागौर में एक लड़की ने आत्महत्या कर ली उसके बाद इस प्रथा पर काफी विवाद चल रहा है लेकिन मध्यप्रदेश में इससे भी खतरनाक कुप्रथा है।यह प्रथा के लिए एक श्राप के समान है। इस प्रथा में महिला को और उसके परिवार को काफी दर्द और अपमान सहना पड़ता है और साथ में मोटी रकम भी चुकानी पड़ जाती है। आश्चर्य कर देने वाली बात तो यह है कि समाज की पंचायत भी लड़के वालों को लड़की के घर में आग लगाने की छूट दे देते हैं अगर लड़की पैसे देने से इंकार कर देती है तो। राजस्थान की आटा साटा प्रथा काफी मशहूर है लेकिन उससे भी कई गुना खतरनाक मध्य प्रदेश की झगड़ा प्रथा है जो महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाती है।

क्या होती है आटा साटा प्रथा

यह प्रथा राजस्थान में प्रचलित है जो रेगिस्तानी इलाकों में अपनाई जाती है। इसी प्रथा के चलते हैं राजस्थान के नागौर जिले में 16 दिन पहले एक लड़की जिसकी उम्र 21 वर्ष थी उसने आत्महत्या कर ली। लड़की के आत्महत्या करने का कारण यह आटा साटा प्रथा ही थी। बात ऐसी है कि रेगिस्तान के इलाकों में धीरे-धीरे लड़कियों की कमी होती जा रही है इसलिए वहां के लोगों ने शादियों के लिए यह कुप्रथा अपनाई है। यह प्रथा अभी भी देश के सभी हिस्सों में अपनाई जाती है जिसमें एक परिवार वाले हैं अपनी और शादी लड़के के परिवार वालों के साथ तब तक नहीं करते हैं जब तक लड़के वालों के परिवार में से कोई एक लड़की उनके परिवार से संबंध बना ना ले।इस प्रथा में लड़की की उम्र पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। जब तक यह नियम पूरा नहीं होता है परिवार वाले लड़की की शादी नहीं करते हैं। आसान शब्दों में समझा जाए तो दूल्हे की बहन अपनी भाभी के परिवार में किसी लड़के से संबंध करेगी तो ही शादी होगी। जिन लड़कों की शादी नहीं होती है उनकी इस प्रथा के माध्यम से शादी करा दी जाती है।

21 साल की लड़की की आत्महत्या की कहानी क्या है

आज से 16 दिन पहले राजस्थान में जिस 21 वर्ष की लड़की ने आत्महत्या की है उसकी जांच के दौरान पता चला कि उस लड़की का भाई नकारा था और उसकी शादी नहीं हो रही थी इसलिए घर वालों ने लड़के की शादी करवाने के लिए उस 21 वर्ष की लड़की की शादी थी एक अंधड़ के साथ कर दी जिसको वह लड़की समझ नहीं पाई और वह रोज घुटती रही। जब लड़की से यह सब बर्दाश्त नहीं हुआ तो लड़की ने अपनी जान दे दी। इसमें साफ दिख रहा है कि एक लड़के की शादी करवाने के लिए घरवालों ने बेटी के सम्मान को सरेआम उछाल दिया। कब से चली आ रही है प्रथा आज भी रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। राजस्थान के अलावा यह प्रथम मध्यप्रदेश के भी कई इलाकों में अभी भी अपनाई जाती है।

मध्यप्रदेश की कुप्रथा में क्या होता है?

अब बात मध्यप्रदेश की की जाए तो यहां पर भी एक कुप्रथा है जो काफी भयंकर है। इसे झगड़ा नाम से जाना जाता है। यह प्रथा मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में अधिक अपनाई जाती है जिसमें मूल जड़ बाल विवाह है। इस प्रथा में लड़की की शादी बचपन में ही कर दी जाती है जिस समय उसको कोई समझ नहीं रहती है। अगर ऐसी स्थिति में बड़े होने के बाद लड़की ससुराल जाने से मना कर देती है तो लड़की वालों पर आफत आ गिरती है। इसके बदले में उनको काफी समस्या का सामना करना पड़ता है और मुआवजा भी देना पड़ता है। सिर्फ लड़की ही नहीं अगर सामने वाला लड़का भी लड़की को अपने घर में लाने से इंकार कर देता है तो भी आफत लड़की वालों पर ही आती है। इनकार करने के बाद लड़के वाले पंचायती बुलाते हैं और लड़की वालों से बड़ी रकम मांगते हैं।अगर उसके बाद भी लड़की वाले पैसा देने से इनकार कर देते हैं तो पंचायत लड़के वालों को उनके घर और फसलों में आग लगाने की इजाजत दे देते हैं। इसके बाद गांव वाले भी लड़की वालों की बजाए लड़के वालों का साथ देते हैं और उनके हुए नुकसान की भरपाई भी लड़की वालों से ही लेते हैं। यह प्रथा तो चलती आ रही थी इसके बाद एक नई प्रथा ने जन्म लिया जिसे नातरा कहा गया। यह प्रथा झगड़ा प्रथा की दूसरा रूप ही है।

झगड़ा प्रथा से ही जन्म हुआ है नातरा प्रथा का

झगड़ा प्रथा के कई मामले सामने आते हैं लेकिन अधिकतर मामलों में लड़की वाले अधिक रकम देने की हैसियत नहीं रखते हैं। इसलिए झगड़ा प्रथा के बाद नातरा प्रथा ने जन्म लिया जिसमें लड़की की शादी किसी दूसरे से करवा दी जाती है। मध्य प्रदेश के स्थानीय इलाकों में इसे नाता कहते हैं। इसमें उस लड़की से शादी कर रहे लड़के के सामने शर्त होती है कि उसकी शादी लड़की से तभी कराई जाएगी जब वह पहले हुए झगड़े में लड़के वालों द्वारा मांगा गया सारा मुआवजा भर दे। यह भी सही नहीं है लेकिन परिवार वाले मजबूर रहते हैं और पैसों के लिए बेटी का सौदा कर देते हैं। आप जब कोर्ट में जाकर देखेंगे तो आपको झगड़ा और नातरा प्रथा के कई केस मिलेंगे। मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में तो अभी भी इन प्रथाओं के मामले आते रहते हैं जो मासूम लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर देते हैं। आपको अब हम मध्य प्रदेश के उन दो मामलों से अवगत कराते हैं जो काफी शर्मनाक है।

18 दिन तक करते रहे लड़की के साथ रेप

घटना मध्यप्रदेश के गुना जिले की है जो 2016 में गठित हुई है। इसमें नाता प्रथा के तहत लड़की को बेचा गया था। मगवास के गोमुख गांव की एक लड़की जिसे उसके पिता और मामा बेचना चाहते थे लेकिन लड़की इससे इनकार कर रही थी जब उसके पिता और मामा ने लड़की को जबरदस्ती बेचने की कोशिश की तो लड़की भाग कर इंदौर चली गई। उसके बाद वह राजस्थान के कोटा शहर में रहने लगी और वही पर मजदूरी करके अपना जीवन व्यतीत करने लगी। यहां पर उसको एक लड़का पसंद आया और उसने घीसा लाल भील नाम के लड़के से शादी कर ली। दोनों अपना जीवन अच्छे से गुजार रहे थे और उनके एक संतान भी हो चुकी थी लेकिन इसकी जानकारी उसके पिता और मामा को लग गई। लड़की के पिता और मामा उसे लेने गए तो लड़की ने जाने से इनकार कर दिया इस पर पिता और मामा ने लड़के से डेढ़ लाख रुपए लिए और वहां से चले गए। कुछ दिनों बाद लड़की के पिता मामा और भाई फिर से लड़की के पास आए और उसे जबरदस्ती उठा ले गए। उसके बाद उसे आवलहैडा गांव में सुल्तान नाम के व्यक्ति से ढाई लाख रुपए लिए और उसे भेज दिया। उस व्यक्ति ने 18 दिन तक लड़की के साथ जबरदस्ती रेप किया। लड़की को यह सब सहन नहीं हुआ और वह फिर से किसी ना किसी तरह उसके चंगुल से भागकर अपने पति के पास चली गई।

लड़के वालों ने लगा दी लड़की वालों के गांव में आग

यह मामला मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले का है जहां पर रामकला नाम की एक लड़की थी जो खिलचीपुरा के बघेला गांव में रहने वाली थी। उसके पिता ने बचपन में ही लड़की की शादी कमल से यहां से तय कर दी थी। लड़की पढ़ाई लिखाई कर रही थी और आगे भी करना चाहती थी लेकिन जब लड़की बालिग हुई और उसके ससुराल वाले उसे ससुराल ले गए तो वहां पर लड़की की पढ़ाई को बंद करवा दिया गया। लड़की का पति शराब भी बहुत पीता था और लड़की को मारता रहता था। उसके बाद रामकला जब अपने मायके पहुंची तो उसने वहां का हाल बता कर ससुराल जाने से मना कर दिया।रामकला के ससुराल वाले लड़की के गांव में आए और 2019 में उन्होंने लड़की के गांव में आग लगा दी। झगड़ा में उन्होंने रकम की मांग की और नुकसान करते रहे। उसके बाद पंचायत बैठी और उन्होंने भी लड़की वालों से ₹900000 लड़के वाले को देने का आदेश दिया। इतने पैसे लड़की वालों पर नहीं थे तो उन्होंने लड़की का सौदा करने की सोच लिया। यह खबर जब खिलचीपुर आ गई तो ससुराल वालों को कोर्ट में पेश किया गया।

सरकार इन प्रथाओं पर नियम क्यों नहीं बनाती है

हम कब से देखते आ रहे हैं कि यह बताएं देश के विभिन्न इलाकों में चलती आ रही है लेकिन इन पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास अभी तक किसी ने नहीं किया है। देश में सरकारें बदलती रहती है लेकिन इन प्रथाओं पर कोई ध्यान नहीं देता है और देश की महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचता जा रहा है। पहले से लेकर आज तक महिलाओं को सिर्फ पीछे धकेला जाता है और इन प्रथाओं के कारण तो महिलाओं की जिंदगी नर्क से भी खराब बन जाती है। इन्हीं प्रथाओं के कारण आज कोई यह नहीं चाहता कि उनके घर में लड़की पैदा हो। सरकार को इन प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाना चाहिए ताकि महिलाओं के साथ हो रहा अत्याचार रोका जा सके। अगर कोई धर्म इसका विरोध करता हो तो सरकार को प्रतिबंध नहीं लगाते हुए भी कुछ ऐसे नियम बना देना चाहिए जिससे महिलाएं अपनी जिंदगी खुशी से गुजार सकें। महिलाओं से भी प्रथाओं में अपनाए जाने वाले नियम के बारे में राय ली जाए और उन्हें प्रथाओं का संचालन चालू रखा जाए जिसमें महिलाएं राजी है।

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