मई 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले जिले के दौरे पर आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सहस्त्र शिवलिंग मंदिर निर्माण कार्य का भूमि पूजन किया गया था लेकिन यह मंदिर अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। यहां पर अब तक 50% काम काम ही पूरा हो पाया है। लोक निर्माण विभाग से लेकर पीआईयू को इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन अभी भी हालत सुधरी नहीं है। कहीं कोरोना तो कहीं भुगतान के अभाव में तो कहीं भी प्यार से संशोधन के चलते कार्य बंद हो जाता है। अभी बारिश और भुगतान के अभाव में कार्य रूका हुआ है।
पशुपतिनाथ मंदिर के पास एक और तीर्थ स्थल बनाने का सपना अधूरा
लोगों ने सपना देखा था कि बहुत ही जल्द पशुपतिनाथ मंदिर के समीप एक और तीर्थ स्थल बनकर तैयार हो जाएगा लेकिन अभी तक वह सपना अधूरा ही पड़ा है। 2 साल से अधिक समय होने को आया है लेकिन मंदिर प्रबंधक समिति अभी तक नहीं बनी है। ऐसे में यहां पर कामों की समिक्षा और देखरेख का अभाव मंदिर से जुड़े निर्णयों से लेकर विकास कार्यों पर दिख रहा है। ठेकेदार काम कर ही नहीं रहा है।जब मन हो तब काम शुरू हो जाता है और जब मन हो तब बंद हो जाता है, लेकिन सती कोई नहीं कर पा रहा है। पशुपतिनाथ मंदिर पर आने वाले भक्तों को समीप में ही सहस्त्र शिवलिंग की प्राचीन और ऐतिहासिक प्रतिमा के दर्शन हो सके इसके लिए 4 करोड़ 20 लाख रुपए की लागत से प्रोजेक्ट तैयार किया गया था।
2018 में शुरू हो चुका था प्रोजेक्ट का कार्य
वर्ष 2018 में प्रोजेक्टर के हिसाब से मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो चुका था और इसे पूरी तरीके से बनकर तैयार होना था। अभी आधा 2021 होने को आया है लेकिन मंदिर का कार्य आधा भी पूरा नहीं हुआ है। इस निर्माण में कार्य कर रहे कांट्रेक्टर और आर्किटेक्ट कॉम तेजी से करने के लिए कोई शक्ति भी नहीं कर रहा है। नोटिस देने तक ही मंदिर की कार्यवाही अब तक सीमित रही है। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सरकार बदलने के बाद प्रबंध समिति भंग की गई थी। इसके बाद अब तक नई समिति नहीं बनी है। मंदिर पर प्रबंध समिति के नहीं होने का भी इस प्रोजेक्ट के अंदर में लटकने और धीमी गति से चलने का बड़ी वजह बताया जा रहा है।
शिवना नदी से प्राप्त हुई थी यह मूर्ति
जानकारी के अनुसार शिवना नदी से भगवान पशुपतिनाथ की मूर्ति मिलने के 20 साल बाद नदी से एक और मूर्ति प्राप्त हुई थी। इस मूर्ति पर 1008 छोटे-छोटे शिवलिंग बने हुए हैं और इस मूर्ति का वजन भी कई क्विंटल है। मंदिर स्थापना के बाद से यह सहस्त्र शिवलिंग की प्रतिमा एक शेर के नीचे रखी हुई थी और इसकी पूजा-अर्चना का दौर चल रहा था। इस पर तत्कालीन कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव की नजर पड़ी तो उन्होंने सहस्त्र शिवलिंग मंदिर का प्रोजेक्ट शुरू कर दिया पशुपतिनाथ मंदिर के पास ही शहर शिवलिंग का कार्य भी शुरू हुआ। लग रहा था कि यह कार्य 1 वर्षों में पूरा हो जाएगा लेकिन यह काजल कछुआ चाल से चल रहा है जो अभी तक आधा भी पूरा नहीं हो पाया है। इस प्रोजेक्ट को लेकर अधिकारी भी रुचि नहीं बता रहे हैं। इसका असर इसके धीमी गति के चल रहे कार्य में दिख रहा है।