मंदसौर: लोगों के कई प्रयासों के बाद भी रुठा हुआ है मानसून, रिमझिम बारिश बढ़ा रही है किसानों की उम्मीदें, बादल करा रहे हैं दिन भर इंतजार

अब तो बारिश का मौसम गुजरने वाला है लोगों ने भी सोच लिया है कि इस बार का जमाना खराब ही निकलेगा क्योंकि बारिश नहीं होने पर लोगों ने मानसून लाने के लिए सभी प्रकार की प्रक्रिया अपना ली है लेकिन मानसून आने का नाम ही नहीं ले रहा है। अभी भी जिले में बारिश नहीं होने का दौर जारी है। पिछले वर्ष लोगों को अल्प वर्षा का सामना करना पड़ा था इस वर्ष रूठे हुए मानसून ने किसानों और लोगों की चिंता बढ़ा रखी है।सिर्फ किसानों को ही नहीं खेत में लोहा रही फसलों को भी बारिश का बेसब्री से इंतजार है क्योंकि फसलें उस स्तर पर पहुंच गई है कि अगर आने वाले कुछ दिनों तक फसलों को पानी नहीं मिला तो खेत में खड़ी खड़ी फसलें सुखा जाएगी और किसानों को दोबारा बोहनी करनी पड़ेगी।

हर किसी को बादलों के बरसने का इंतजार

गर्मी से हर दिन हो रहे परेशान लोगों को अब सिर्फ बादलों के बरसने का बेसब्री से इंतजार है। हालांकि वर्तमान के कुछ दिनों में प्रदेश में बूंदाबांदी हो रही है जिससे लोगों को फिर से एक उम्मीद जग गई है। जिले के सूखे पड़े जल स्त्रोतों में पानी आने के साथ साथ जल संकट से छुटकारा पाने के लिए भी जिला वासियों को इंतजार है। आम लोगों की उम्मीदों के बीच बुधवार को रिमझिम बारिश ने लोगों को सांत्वना दी दिन भर आसमान में छाए रहे काले बादलों ने लोगों को एक बार फिर निराश कर दिया है। पूरे जिले में यही स्थिति बनी रहेगी दोपहर बाद सिर्फ रिमझिम बारिश हुई।

दिनभर बादल मंडरा रहे हैं लेकिन बारिश नहीं हो रही है

पिछले 1 सप्ताह से देखा जाए तो मानसून लोगों को सिर्फ धोखा दे रहा है और बरस नहीं रहा है। पिछले 1 सप्ताह से जिले में आसमान में काले बादल छाए तो रहते हैं लेकिन बरसते नहीं है और लोगों को धोखा दे जाते हैं।बारिश नहीं होने के कारण हर व्यक्ति को चिंता हो रही है। अब किसानों को सिर्फ बादलों के बरसने का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। आसमान में काले बादल आने के बावजूद भी बारिश नहीं हो रही है और बादल बिन बरसे ही लौट रहे हैं। कुछ समय तक बूंदाबांदी हुई और उसके बाद बारिश का इंतजार रहा। तापमान बढ़ने के साथ गर्मी भी बढ़ रही है। लेकिन बारिश के लिए प्रार्थना कर रहे जिले वासियों को कहीं से भी राहत नहीं मिल रही है। अब फसलों का अंत समय भी आ गया है अगर 1 सप्ताह के अंदर बारिश नहीं हुई तो आधे से ज्यादा किसानों की फसलें समाप्त हो जाएगी।

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