कोरोना महामारी में ना जाने कितने बच्चों के माता-पिता को छीन लिया है और बच्चों को अनाथ कर दिया है। अनाथ बच्चों को कोई आर्थिक सहायता नहीं मिल रही है लेकिन सरकार बच्चों का साथ दे रही है। सरकार कोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर सभी प्रकार की सहायता दे रही है। बच्चों को उनके रिश्तेदार और परिवार के अन्य लोगों का भी अच्छा साथ मिल रहा है। एक सर्वे से आंकड़ा प्राप्त हुआ है कि पूरे मंदसौर जिले में 37 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान अपने माता और पिता दोनों को खो दिया है और अनाथ हो गए हैं। शिवराज सरकार ने उनके लिए एक अभियान चला रहे हैं जिसमें प्रतिमाह अनाथ बच्चों को पैसे दिए जाएंगे। इन बच्चों में कुछ बच्चों के माता-पिता पहले से नहीं थे और कोरोना के कारण एक और की मृत्यु हो गई जिससे यह अनाथ हो गए हैं।
दूसरे लोग भी अनाथ बच्चों की काफी मदद कर रहे हैं
अनाथ बच्चों के रिश्तेदार और परिवार वालों के अलावा दूसरे लोग भी है जो बच्चों को मदद कर रहे हैं। यह समाज में रहने वाले दानदाता है। इन्हीं दानदाताओं में से एक मंदसौर की बेटी जिसने नाम उजागर न करने की शर्त पर अनाथ बच्चों के लिए हाथ आगे किए हैं। मंदसौर की रहने वाली है बेटी, जिसकी शादी अमेरिका में हुई है और अभी वह अमेरिका में रह रही है। अमेरिका में रहते हुए भी उस लड़की ने अनाथ बच्चों के लिए ₹100000 की मदद भेजी है। बेटी ने यह भी कहा है कि अगर आगे भी बच्चों की जरूरत के लिए पैसे की जरूरत होगी तो हम देने को तैयार है।
दानदाताओं से इकट्ठे हो गए 40 लाख रुपए
मंदसौर के अनाथ बच्चों की मदद के लिए दानदाताओं ने अपनी अपनी तरफ से प्रशासन को पैसे दिए हैं। अभी तक दानदाताओं द्वारा प्रशासन को 4000000 रुपए का दान दिया जा चुका है। इन पैसों से उन बच्चों की मदद की जा रही है जिनके माता-पिता दुनिया से चले गए हैं और उनको अभी तक मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना का लाभ नहीं मिला है। इन बच्चों को दान दिए गए पैसों में से उन बच्चों को प्रतिमाह ₹2000 दिए जा रहे हैं जिनको जरूरत है। समाज के दानदाताओं का कहना है कि अनाथ बच्चों का जीवन चलाने के लिए कोई नहीं होता है इसलिए पैसे नहीं होने पर बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बच्चों को आर्थिक सहायता ही नहीं बल्कि स्नेह की भी जरूरत है
बच्चों के लिए दान दे रहे लोगों का कहना है कि अनाथ हुए बच्चों को सिर्फ पैसों की जरूरत नहीं है बल्कि उन बच्चों को आर्थिक सहायता के साथ-साथ प्रेम और स्नेह भी मिलना चाहिए। इसी को लेकर कुछ अधिकारियों को अनाथ बच्चों का बालक बनाया गया है जो समय-समय पर जाकर बच्चों का हाल-चाल जान सकते हैं। मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना द्वारा बच्चों की मदद की जा रही है उनके अलावा बचे हुए बच्चों में से चार बच्चों की फाइल चल रही है और उसके बाद भी जो बच्चे बच गए हैं उन्हें दानदाताओं द्वारा मदद की जा रही है। एक विद्यालय में कक्षा चौथी में पढ़ रही बेटी के पिता की मृत्यु हो जाने पर उसकी फीस माफ कर दी। इस प्रकार सभी तरफ से बच्चों की मदद की जा रही है।