मंदसौर का प्रशासन और नगर पालिका इतनी उदासीन और लापरवाह है कि आप इसका अंदाजा शिवना में हो रहे जलकुंभी निकालने के कार्य को देखकर लगा सकते हैं।सावन के आते ही जिले में तीन दिनों तक तेज बारिश हुई थी जिससे शिवना में तेज पानी बहकर निकल गया था। उसके बाद प्राकृतिक रूप से शिवना साफ हो गई थी। लेकिन उसके बाद भी बड़ी मात्रा में जलकुंभी छोटी पुलिया के यहां आकर फस गई थी। नगर पालिका जिम्मेदार इसे बाहर नहीं निकाल पाए। पहले ही बहुत दिनों के बाद जलकुंभी निकालने का कार्य हुआ और उसमें भी नगर पालिका की लापरवाही सामने आ गई। नगर पालिका ने जलकुंभी सफाई का कार्य तो किया लेकिन जलकुंभी शिवना से बाहर नहीं निकाल पाए।
जलकुंभी एक तरफ से निकालकर दूसरी तरफ डाल दी
नगर पालिका ने छोटी पुलिया के एक तरफ से जलकुंभी को निकाला और नदी के दूसरी तरफ डाल दिया जो दोबारा शिवना में ही चली गई। निर्मल शिवना जन अभियान आंदोलन के प्रभारी हरिशंकर शर्मा ने बताया कि शिवना नदी में व्याप्त गंदगी धीरे-धीरे चंबल के सामने आने लगी है। जनप्रतिनिधियों के चेहरे से शिवना नदी की गंदगी चंबल में भेजने की खुशी झलक रही है। बारिश ने शहर के नालो की पोल खोलकर रख दी है।निचली बस्तियों में हर बार पानी भर जाता है लेकिन इसका भी अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ है। शिवना शुद्धिकरण के लिए कई बार पैसे आते हैं लेकिन नपा लापरवाही बरत रही है।
भगवान शिव ने स्वयं नदी को साफ किया
पहली बार तो भगवान पशुपतिनाथ ने स्वयं बारिश करके नदी को साफ किया लेकिन उसके बाद भी बची रह गई जलकुंभी को नगरपालिका नदी से बाहर नहीं निकाल पाई। जिम्मेदारों ने जलकुंभी निकालकर नदी की दूसरी तरफ डाल दिया इससे पता चलता है जिम्मेदार नदी को शुद्ध नहीं बल्कि प्रदूषित करना चाहते हैं। लोगों का कहना है कि नदी की गंदगी के कारण आने वाले समय में जल स्त्रोतों पर जल संकट पैदा हो जाएगा। भविष्य में चंबल योजना भी सार्थक नहीं हो पाएगी। शहर के नाले गंदगी के कारण जाम हो रहे हैं। लोगों को परेशानी हो रही है लेकिन जिम्मेदारों को कुछ नहीं दिख रहा है। शिवना नदी के अस्तित्व को लेकर संघर्ष लगातार जारी है। जब तक जिम्मेदारों को सख्त निर्देश नहीं मिलेंगे यह ऐसी ही लापरवाही बरतेंगे।