किसान परेशान: मांहगे बीज को लेकर किसानों को दोबारा करनी पड़ रही है बोवनी, 25% किसानों की फसल नहीं हुई अंकुरित, आखिर कब इंद्र देवता किसानों की आवाज सुनेंगे

 

किसी एक क्षेत्र नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में ही किसान लोग परेशान हो रहे हैं। जून महीना खत्म हो चुका है और जुलाई शुरू हो चुका है लेकिन अभी अभी बारिश आने का कोई संकेत नहीं मिल रहा है। जून के पहले दिनों में 2 दिन अच्छी बारिश हुई थी उसके बाद किसानों ने सोचा कि अब प्रदेश में मानसून आ जाएगा और बारिश हो जाएगी इसी उम्मीद के साथ किसानों ने बोवनी कर दी थी। किसानों ने इस बार बीज भी खरीद कर ही उपयोग में लाए हैं। इस बार किसानों के पास बीज नहीं थे तो किसानों ने बीज खरीद कर बड़ी उम्मीद के साथ बोवनी की थी। लेकिन बारिश नहीं होने के कारण किसानों की उम्मीदे मिट्टी में मिल रही है। एक बार बोनी करने के बाद है बारिश ने आने का नाम ही नहीं लिया और किसानों की फसलें खेतों में ही खराब हो गई।

इतने महंगे बीज खरीद कर किसानों ने दोबारा बोवनी की

इस वर्ष किसान सभी तरफ से संकट में आ गया है क्योंकि महामारी के कारण ना तो मंडिया खुली और इस वर्ष सोयाबीन के दाम इतनी ऊंचाई पर पहुंच गए कि कोई सोच भी नहीं सकता। इस बार किसानों के पास सोयाबीन के बीज उपलब्ध नहीं थे इसलिए किसानों को खरीदकर लाने पड़े। गांव लिंबावास सहित आसपास के क्षेत्र में किसानों को दोबारा बुआई करना पड़ रही है। किसान एक बार पहले ही महंगे बीच की मार खा चुका है और बारिश नहीं होने के कारण अब किसान को दोबारा मांहगे बीज खरीदना पड़ रहे हैं। किसानों ने बारिश को देख कर सोयाबीन उगादि थी लेकिन बारिश नहीं होने के कारण 30% किसानों की सोयाबीन अंकुरित ही नहीं हुई है।

कुछ किसानों के खेत सूखे पड़े हैं

प्रदेश के कुछ गांव में अभी बोवनी करने लायक भी बारिश नहीं हुई है। इसलिए अभी तक किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं और किसानों के खेत सूखे ही पड़े हैं। इस वर्ष मानसून भले ही 5 दिन पहले आ गया हो और किसानों को खुश कर दिया हो लेकिन उस बारिश ने आकर किसानों से बीच की बोवनी तो करा दी लेकिन उसके बाद पानी ने आने का नाम ही नहीं लिया। कुछ किसानों ने अपनी भी कर दी थी और वह भी बीज खरीद कर लाए थे इस कारण किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है। इस वर्ष सोयाबीन की कीमत भी आसमान की ऊंचाइयां छू गई है। पिछले 2 वर्षों से सोयाबीन का अच्छा उत्पादन नहीं हुआ और लगभग सभी किसानों की खेत में खड़ी खड़ी ही खराब हो गई इस कारण इस वर्ष बीज की भी भारी कमी देखने को मिली और किसानों को बीज की समस्या का सामना करना पड़ा।

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