मंदसौर जिले का किसान अपने खेत की मिट्टी की सेहत जाने बिना ही बुआई करने को मजबूर हो गया है। 2 साल से मिट्टी परीक्षण का काम कोरोना के कारण बंद हो गया है। वहीं जिला मुख्यालय की लैब के जानकारों की मानी जाए तो जिले की मिट्टी में फास्फोरस से लेकर आयरन और नाइट्रोजन की मात्रा तेजी से कम हो रही है। कहने को तो जिले में सभी विकास खंडों के अलावा जिला मुख्यालय में भी लेब बनी है, लेकिन मिट्टी परीक्षण नहीं हो रहे हैं। कुछ सालों पहले जिस जोर शोर से मृदा परीक्षण की योजना केंद्र सरकार ने लगाई थी उस समय लक्ष्य दिए जा रहे थे लेकिन कुछ सालों में ही योजनाएं की सांसें फूल गई।
धीरे-धीरे मृदा परीक्षण लैब वीरान होती जा रही है
विकासखंड मुख्यालय पर बनी की मृदा परीक्षण वीरान होती जा रही है लेकिन अब तक ताले भी नहीं खुले हैं। जिला मुख्यालय पर 10000 की क्षमता वाली लैब में इस साल में अब तक मात्र 51 और गरोठ की ओर से आए करीब ढाई सौ सैंपल की जांच ही हुई है। विभाग की मिट्टी परीक्षण के लिए कुछ कर नहीं पा रहा है। विभाग ने भी बुवाई के लिए किसानों को अपने हाल पर छोड़ दिया है। इसी कारण खरीफ सीजन में सोयाबीन उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। जिला मुख्यालय पर बनी लैब में जैसे तैसे संचालन भले ही हो रहा है लेकिन विकासखंड मुख्यालय के लिए बताओ शुरू होने से पहले ही खंडहरों में तब्दील होती जा रही है।
36 लाख में बनी लैब खुलने से पहले ही हो रही खंडहर
जिला मुख्यालय पर 10000 क्षमता वाली मिट्टी परीक्षण लब है। वही मंदसौर के अलावा मल्हारगढ़ सीतामऊ गरोठ क्षेत्र में विकास खंड मुख्यालय पर 36 लाख की लागत से मिट्टी परीक्षण लैब बनकर तैयार है लेकिन अब तक कई साल बीत जाने के बाद भी यहां ना तो स्टाफ पहुंचा है और ना ही यहां उपकरण आए हैं। ऐसे में सालों बाद भी लाखों की लैब में एक भी सैंपल की जांच नहीं हुई है और लैब ताला खुलने के इंतजार में वीरान होती चली जा रही है। अब खंडहर में तब्दील होकर धीरे-धीरे वीरान हो रही हैं। ऐसे में मिट्टी परीक्षण के नाम पर जिले का किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है।