मंदसौर शहर के मध्य गुजर रही शिवना नदी में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा बढ़ गया है कि इस पानी को पीना तो दूर की बात है बल्कि इसमें रहने वाली मछलियों के जीवन पर ही संकट खड़ा हो गया है। मैली होती शिवना में ऑक्सीजन की लगातार कमी होने के कारण मछलियों के जीवन पर ग्रहण लग गया है और प्रतिदिन ढेरों से मछलियां मर रही है। सोमवार को शिवना नदी के बचे कुचे पानी में करीब 2 किलोमीटर के क्षेत्र में मृत मछलियां तैरती हुई दिखाई दी। अगर शिवना के इस प्रदूषण को कम नहीं किया गया तो ऐसे ही प्रतिदिन मछलियों का जीवन संकट में जाता ही रहेगा और अभी भी प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है।
जवाबदार सालों से नहीं रोक पा रहे हैं नाले का गंदा पानी
नदी का पानी प्रदूषित होने के कारण मछलियों की मरने की संख्या इतनी बढ़ गई है कि मछलियां पानी में तो तैरती हुई दिखाई दे रही है उसके साथ साथ नदी के किनारे पर भी ढेर लग रहा है। यह पहली बार नहीं हुआ है प्रतिवर्ष नदी में प्रदूषण बढ़ जाने के कारण और ऑक्सीजन की कमी हो जाने के कारण मछलियों के मरने का दौर शुरू हो जाता है। इस पर सालों से शुद्धिकरण और सुंदरीकरण के दावे कर रहे जवाबदार नालों का गंदा पानी जो नदी को तेजी से प्रदूषित कर रहा है उसको भी नहीं रोक पाए हैं और ना ही नदी के लिए किसी भी प्रकार का कायाकल्प के लिए पहल कर पाए हैं। इसीलिए शहर की जीवनदायिनी अब गंदा पानी बन कर रह गई है।
शुद्धिकरण के लिए 100 करोड़ की योजना को मंजूरी का इंतजार
वैसे तो दो दशक से शिवना शुद्धिकरण के लिए अनेक योजनाएं बनी लेकिन शिवना नदी तक कोई भी योजना नहीं पहुंच पाई है और प्रतिवर्ष ऐसे ही लोग योजना का इंतजार करते रह गए हैं। अब पर्यावरण विभाग की इप्को की टीम ने करीब 100 करोड रुपए की योजना फिर से बनाई है जो शासन स्तर पर लंबित है। आप सभी को इस 100 करोड़ की योजना का मंजूर होने का इंतजार है और शिवना को शुद्ध और सौंदर्यीकरण का इंतजार है। स्थानीय स्तर पर शिवना में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए हर बार शासन स्तर पर लंबित योजना की बात कही जाती है लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई भी प्रयास अब तक नहीं किए गए हैं। नालों का पानी भी नहीं रोक पा रहे हैं और नदी में फैकी जा रही गंदगी भी नहीं रोक पा रहे हैं। इसीलिए शिवना का पानी गंदा होता जा रहा है।