मध्य प्रदेश एक और चेतावनी: प्रदेश में मिला ग्रीन फंगस का पहला मरीज, मरीज को प्लेन के द्वारा मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में भेजा गया है, जानिए इस बीमारी के लक्षण

 

देश और प्रदेश धीरे-धीरे कोरोना पर काबू तो पा रहा है लेकिन पीछे पीछे नहीं बीमारियां भी दस्तक देती जा रही है। सबसे पहले ब्लैक फंगस आई उसके बाद वाइट फंगस आई और उसके बाद यह लो फंगस भी आ गई जब इन सबसे धीरे धीरे छुटकारा पाया जा रहा है तो अब मध्यप्रदेश में एक और नई बीमारी ग्रीन फंगस ने दस्तक दे दी है। एक व्यक्ति में ग्रीन फंगस पाया गया है जिसकी उम्र 34 वर्ष है और यह व्यक्ति इंदौर के अरविंदो अस्पताल में इलाज करवा रहा था और जांच के दौरान पाया गया कि इस व्यक्ति को ग्रीन फंगस का संक्रमण है। ग्रीन फंगस पाए गए मरीज का नाम विशाल है जो कि इंदौर के ही माणिक बाग रोड पर रहता है।

विशाल को कैसे हुई ग्रीन फंगस की बीमारी

ग्रीन फंगस से संक्रमित मरीज विशाल पहले कोरोना पॉजिटिव आ चुका था उसके बाद वह पोस्ट कोविड का मरीज हो गया। इलाज के दौरान उसके फेफड़ों और साइनस में एस्पेरगिलस फंगस मिला। जब उसकी जांच की गई तो विशाल के फेफड़ों में 90% तक संक्रमण फैल चुका था और इसी कारण मरीज को चार्टर्ड प्लेन की सहायता से मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में रेफर किया गया। वहां के अस्पताल में इसको एडमिट कर दिया गया है और मरीज का इलाज चलाया जा रहा है।

ब्लैक फंगस से काफी खतरनाक है यह ग्रीन फंगस

डॉक्टरों का कहना है कि पहले आ चुकी बीमारी ब्लैक फंगस से ग्रीन फंगस काफी खतरनाक है। डेढ़ महीने पहले जब ग्रीन फंगस से संक्रमित मरीज डॉक्टर के पास इलाज करवाने हेतु गया था तो मरीज के दाएं फेफड़े में मवाद भर गया था। उसके बाद डॉक्टरों ने उसके फेफड़े से मवाद निकालने का काफी प्रयास किया और डेढ़ महीने तक उसका इलाज भी किया। इस इलाज चलने के दौरान मरीज में अलग-अलग लक्षण भी दिखाई दिए। मरीज का बुखार कम नहीं हो रहा था और 103 डिग्री से नीचे नहीं उतर रहा था। मरीज के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था। अब उस मरीज का मुंबई के अस्पताल में इलाज जारी है।

क्या है एस्परगिलस फंगस

इस बीमारी को अगर सामान्य तरीके से जाना जाए तो इसको यलो फंगस और ग्रीन फंगस कहते हैं। बहुत सारे मामलों में से कुछ मामले ब्राउन फंगस के भी देखने को मिल जाते हैं। इंदौर मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी की एच ओ डी अनीता मुथा ने बताया कि यह नया मामला देखने को मिला है। मरीज की जांच आगे की जा रही है। यह बीमारी हमारे फेफड़ों को तेजी से संक्रमित करती है।

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