मंदसौर: मानसून की पूर्व बारिश से ही बह गया शहर की सड़कों का डामर, कुछ गांवों में भी ऐसा ही हाल, पैसे खाकर किया गया घटिया निर्माण

मंदसौर में करोड़ों रूपए की लागत से बनी चंबल योजना में लापरवाही बरतने वाले नपा के अधिकारियों और इंजीनियर मानो हर कार्य में गुणवत्ता को परख नही पा रहे हैं। संबल योजना ही नहीं अब तो शहर की सड़कों पर भी बड़े-बड़े सवाल उठ रहे हैं। अब शहर की सड़कों की गुणवत्ता पर भी प्रश्न उठाए जा रहे हैं। इसका कारण यह है कि मानसून के आने से पहले शहर में दो बार तेज बारिश हुई है यह बारिश इतनी भी तेज नहीं थी जितनी बारिश पिछले वर्ष हुई है लेकिन यह दो बार जो बारिश हुई है उसमें सड़कों पर पानी ज्यादा था और सड़कें नदियां बन गई थी लेकिन सवाल सड़क की गुणवत्ता पर उठता है कि सिर्फ दो बारिश में ही सड़कों का डामर कचरे के साथ आसानी से बह गया।

जिन सड़कों के डामर बह गए हैं वह 2 सालों के भीतर ही बनी है

आश्चर्य की बात तो यह है कि जिन जिन सड़कों का डामर वह गया है उनमें से अधिकतम सड़कें पिछले 2 वर्षों के भीतर ही बनाई गई है इससे साफ पता चलता है कि सड़क बनाने में चिटिंग हुई है। सड़कों की गारंटी भी पूरी नहीं हुई और सड़कें खड्डे ग्रस्त हो गई। सड़कों में गड्ढे होने से और सड़कों की गुणवत्ता को देख कर पता चलता है कि सड़कों को बनाने वाले और उसकी देखरेख करने वाले इंजीनियरों ने लापरवाही बरती है।

कहां कहां सड़कें खराब हुई है

मंदसौर शहर में नयापुरा रोड, उत्कृष्ट स्कूल मार्ग, नेहरू बस स्टैंड, कैलाश मार्ग, की सड़क एवं श्री कोल्ड चौराहे की सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। इन्हीं सड़कों पर 2 साल के भीतर ही नगर पालिका द्वारा लाखों रुपए की लागत करके इन सड़कों पर डमरीकरण किया गया था। लेकिन मानसून की पहली दो बारिश में ही सड़कों से डामर निकलना शुरू हो गया है। सड़कों पर गड्ढे होने के कारण गिट्टी और मिट्टी बाहर आने लगी है। शहर की मुख्य सड़कें भी प्रतिवर्ष बारिश से खराब हो जाती है लेकिन सड़कें बनाने वाले और इंजीनियर पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है नाही अगली बार उस गलती को सुधारा जाता है और हर वर्ष ऐसे ही मानसून की शुरुआत से ही रोड खराब होना शुरू हो जाते हैं।

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