मानसून का देश में आगमन कई दिनों पहले हो चुका है और मंदसौर में भी मानसून किसी भी समय आ सकता है। लेकिन जिले में नगर पालिका अपनी सुस्ती कायम कर बैठी है और सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर नगर पालिका व्यवस्था है सही तरीके से पूरी नहीं कर पा रही है।पुरे शहर भर में जर्जर मकानों की संख्या 100 से अधिक है जो ऐसी स्थिति में है कि कभी भी ढह सकते हैं। लेकिन नपा द्वारा किए गए सर्वे में सिर्फ 52 मकान ही जर्जर पाए गए हैं। इसके बाद नपा द्वारा ना ही ऐसे मकानों को गिराने और मकान मालिकों से गिरवा ने की कार्यवाही नहीं की।
सिर्फ नोटिस जारी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली
नगर पालिका ने हमेशा की तरह एक नोटिस जारी कर अपने कर्तव्य को पूरा करने की इतिश्री कर ली जबकि जर्जर मकान ऐसी स्थिति में है कि पानी की कुछ बूंदे पड़ने पर भी वह खतरनाक हालत में हो सकते हैं। 2019 में हुई अधिक बारिश के कारण शहर में जर्जर मकान और ऐसे मकानों के गिरने के आधा दर्जन से अधिक हादसे हुए थे लेकिन उसको देखकर नगर पालिका ने कोई भी सबक नहीं लिया और इस वर्ष भी इसके लिए कोई तैयारियां नहीं की। जर्जर मकानों को ऐसे हादसों से रोकने के लिए नगर पालिका कितनी गंभीर दिख रही है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। नगर पालिका ने पिछले 2 वर्षों में एक भी मकान नहीं ढहाया है। हालांकि आंकड़ों में जरूर 1 वर्षों में शहर में 39 मकान कम पड़ गए हैं।
अफसरों ने कहा: लोगों ने मकानों की मरम्मत करवा ली है
इस विषय पर अफसरों ने यह कहा कि इतने मकानों मैं लोगों ने कुछ ना कुछ मरम्मत करवा ली है और कुछ लोगों ने स्वयं ही मकानों को तोड़ दिया है। जानकारी के मुताबिक मंदसौर शहर में पिछले वर्ष 91 मकान जर्जर चिन्हित किए गए थे। इस साल 1 महीने पहले सर्वे किया गया तो उसमें सिर्फ 52 मकान ही जर्जर पाए गए हैं। इन मकान के मालिकों को संदेश पहुंचा दिया गया है कि आप अपने मकान की मरम्मत करवा ले या मकान को पूरी तरीके से तोड़ दे। शहर के पुराने मोहल्लों में जर्जर मकानों की संख्या अत्यधिक देखी गई है। कोलगर गली, शहर किला रोड, जनकूपूरा, राम मोहल्ला, तुलसीदास गली, नजम पुरा, नरसिंहपुरा आदि क्षेत्र शामिल है। कलेक्टर ने 3 साल पहले आदेश दिए थे लेकिन अभी तक नगर पालिका ने इस काम में अपने फुर्ती नहीं दिखाई है। अगर अभी भी नगर पालिका द्वारा तैयारियां नहीं की गई तो बारिश के दौरान हादसे हो सकते हैं।