कोरोना के दौर में किसानों की सुविधा और सहूलियत के नाम पर सरकार ने सौदा पत्रक को मंजूरी दी है। लेकिन जिले के किसानों ने इसमें बिल्कुल भी रूचि नहीं ली और एक माह में कृषि पर आधारित इस पूरे जिले में मात्र 28000 किसानों ने इस शोधपत्र का उपयोग करके अपनी उपज को बेचा है।वही अब खरीफ सीजन भी आ गई है और किसान खरीफ सीजन की बुवाई की तैयारियां मे लगे किसानों को बाजार से लेकर कषि उपज मंडियों के पुरे खुलने का इंतजार है।
सिर्फ ढाई हजार सौदापक हुए हैं पुरे जिले में
एक माह में जिले में सिर्फ ढाई हजार सौदापक हुए हैं तो भानपुरा में इसका खाता भी नहीं खुला है तो सुवासरा में संख्या बहुत कम रही है। इससे पता चलता है कि जिले में सरकार के सौदापक में जिले के किसानों ने रूचि नही दिखाई है।
मंडिया पुरी तरह खुले तो खरीफ सीजन की तैयारियों को मिले रफ्तार
वर्तमान में जिले का किसान खरीफ सीजन की तैयारियों में लगा हुआ है। ऐसे में खेतों को तैयार करने से लेकर खेतों में खाद बीज की प्रक्रिया तेजी से हो रही है। लेकिन मंडिया पूरी तरह से नहीं खुलने के कारण खरीफ सीजन की तैयारियों मैं रफ्तार नहीं बढ़ रही है। मंडिया और बाजार पूरी तरह खुले तो किसान मंडियों में उपज बेचने के साथ-साथ खाद बीज से लेकर खेतों से जुड़ी सभी आवश्यक सामग्री लेकर तैयारियों में जुट जाएंगे। बाजार में सभी दुकानदार भी तैयार है लेकिन प्रशासन के निर्णय पर किसानों और बाजारों की चमक निर्भर है। फिलहाल कृषि उपज मंडी खुल चुके हैं लेकिन आवक काफी कम हो रही है जिससे नीलामी कम समय में ही पूरी हो जाती है और मंडी प्रांगण पूरा खाली पड़ा रहता है। ऐसे में अब मंडी में आवक बढ़ाने के लिए मंथन किया जा रहा है।