बाढ़ का खतरा होगा कम: जल्द ही गांधी सागर जलाशय में पानी का पूर्वानुमान बताएगा वाटर स्काडा सिस्टम,बाढ को कंट्रोल करने और गेट को समय पर खोलने में मदद करेगा यह सिस्टम

 

वर्ष 2019 में इतनी तेज बारिश हुई थी कि गांधी सागर बांध पूरी तरीके से भर चुका था और बांध के ऊपर से पानी निकल रहा था और पानी का लेवल अधिक होने के कारण बाढ़ आ गई थी जिससे रामपुरा क्षेत्र डूब गया था। उसी घटना से सबक लेने के साथ गांधी सागर बांध पर अब वाटर स्काडा सिस्टम लगाया जा रहा है। इंदौर उज्जैन संभाग की चंबल सहित अन्य सहायक नदियों को इससे जोड़कर वहां पर यह सिस्टम लगाया जा रहा है। यहां सिस्टम बांध में जलाशय का पूर्वानुमान बताएगा जिससे बाढ़ के हालातों को नियंत्रण करने में आसानी होगी और अधिक पानी आने की स्थिति में इस सिस्टम की मदद से बांध के गेट खोलने का निर्णय सही प्रकार से लिया जा सकेगा।

15 अगस्त तक तैयार हो जाएगा यह वाटर स्काडा सिस्टम

हालांकि 31 अगस्त से और 15 सितंबर से बारिश के दिनों में हर पखवाड़े में बांध का वाटर लेवल मेंटेन करने के लिए भी निर्णय लिया जा चुका है। यह सिस्टम बताया जा रहा है कि 15 अगस्त तक तैयार हो जाएगा। इससे उज्जैन इंदौर संभाग से गांधी सागर की ओर आने वाले पानी की गति और कितना पानी आने की संभावना है पता चल जाएगा। इसकी जानकारी स्काडा सिस्टम का मॉनिटर पहले ही दे देगा। इसकी मदद से जिला प्रशासन अपनी रणनीति पर काम करेगा।

2019 की घटना कर उड़ जाते हैं होश, उसी घटना से सबक लेकर लगाया गया सिस्टम

2019 में बाढ़ के दौरान गांधी सागर बांध के केचमेंट एरिया में अत्यधिक पानी आ रहा था। और इसका पूर्वानुमान भी नहीं था। माही बांध के लेवल को मेंटेन करने के लिए जितनी आवक आ रही थी उतना पानी नहीं छोड़ा जा रहा था। ऐसे में अचानक एक समय ऐसा आ गया था कि गांधी सागर बांध के छोटे और बड़े सभी के खुलने के बाद और गांधी सागर बांध के ऊपर से भी पानी निकल रहा था फिर भी जितनी आवक हो रही थी उतना पानी नहीं छोड़ सकते थे। इसीलिए रामपुरा में बाढ़ आ गई थी। इसीलिए आगे से ऐसी गलती नही हो इस घटना से सबक लेते हुए वाटर स्काडा सिस्टम लगाया गया है। गांधी सागर बांध से जुड़ी सभी अलग-अलग नदियों में यह सिस्टम लगाया जाएगा और पूरे सिस्टम का कंट्रोल रूम गांधी सागर बांध पर बनाया जा रहा है। जहां पर सुपर मॉनिटर हर पल की खबर देता रहेगा। यहां सिस्टम इंदौर उज्जैन संभाग के अलावा राजस्थान के प्रतापगढ़ क्षेत्रों में कितनी बारिश हो रही है वह भी बता देगा। यह सिस्टम बताएगा कि पानी कितनी स्पीड से आ रहा है और कितनी मात्रा में आ रहा है ताकि गेट को सही समय पर खोल दिया जाए। इस सिस्टम के चलने के बाद लोगों में बाढ़ का डर एक प्रकार से खत्म हो जाएगा।

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