कोरोना की दूसरी लहर के पीक के समय से ही विशेषज्ञ तीसरी लहर आने की आशंका जता रहे हैं। इसमें सबसे अधिक बच्चों के संक्रमित होने का खतरा है। 18 साल से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन भी शुरू है। लॉक डाउन की बंदीशे खत्म हो रही है। सरकार धीरे-धीरे सभी सार्वजनिक स्थानों को खोल रही है। विषय में केंद्र व राज्य सरकारें बच्चों के बचाव और इलाज के लिए कितनी मुस्तैदी से तैयारी कर रही है इसका आकलन करना बहुत जरूरी है। बच्चों के इलाज के लिए विशेष उपकरण, आईसीयू बेड और दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था जरूरी है।
दूसरी लहर में पहली लहर के मुताबिक ज्यादा बच्चे संक्रमित हुए थे
देश में डेल्टा प्लस वैरीअंट दस्तक दे चुका है और अगर इसका असर तेज रहा तो सरकार की तैयारियां अधूरी ही रह जाएगी। कोरोना की पहली लहर में देश में औसतन 4 फ़ीसदी बच्चे संक्रमित हुए थे लेकिन दूसरी लहर में यह आंकड़ा 10% पर पहुंच गया था। फरवरी 2021 में सीरो रिपोर्ट के मुताबिक 25% बच्चों में वायरस के एंटीबॉडी मौजूद थे। वहीं छत्तीसगढ़ में कुल संक्रमित में पहली लहर में 7.8 प्रतिशत तो दूसरी लहर में 8.3 प्रतिशत बच्चे संक्रमित हुए थे। दूसरी ओर डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है लेकिन यह तय है कि इसकी संक्रामकता पहले के वेरिएंट से कहीं ज्यादा है।
सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है
सरकार के पास अभी पर्याप्त पीडियाट्रिक एनआईसीयू नहीं है। देश में कुल 12 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या 16.5 है। सरकार को 82 हजार एनआईसीयू बेड की जरूरत होगी, अगर 20 फ़ीसदी बच्चे संक्रमित होंगे तो। अगर स्थिति 5% भी गंभीर हो जाती है तो सरकार को 82 हजार से अधिक बेड की जरूरत होगी। फिलहाल देश में 2000 एनआईसीयू बेड ही उपलब्ध है। बिना वैक्सीन के माता पिता का बच्चों के साथ रहना जोखिम भरा हो सकता है। अस्पताल में संक्रमित बच्चे का बिना माता-पिता के रहना मुश्किल और सोशल डिस्टेंसिंग भी कठिन होगी। बच्चों में ऑक्सीजन मास्क लगाए रखना बड़ी चुनौती होगी। अभी बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है।