किसानों के साथ हो रहा धोखा: 1 साल में ₹200 क्विंटल बढ़ी धान की लागत, समर्थन मूल्य में इजाफा मात्र 72 रूपए, समर्थन मूल्य महज दिखावा, कैसे लाभ का धंधा बनेगी खेती

 

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में और सभी फसलों का न्यूनतम मूल्य लागू करने की मांग को लेकर किसान आंदोलन अभी भी जारी है। इधर केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में धान के लिए समर्थन मूल्य घोषित किया है। इस साल धान के समर्थन मूल्य में 72 रुपय प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। जिससे धान का मूल्य 1940 रूपए प्रति क्विंटल हुआ है। सरकार का दावा है कि इससे किसानों को लाभ होगा। वही किसानों का कहना है कि 1 साल में डीजल पेट्रोल खाद बीज और कीटनाशकों के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। इससे खेती की लागत ₹4000 प्रति एकड़ की लागत से बढी है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि 1 साल में धान की खेती पर लागत ₹200 प्रति क्विंटल तक बढ़ी है। जबकि सरकार ने समर्थन मूल्य सिर्फ ₹72 बढ़ाया है। यहां मूल्य इतना कम है कि लागत जितनी बड़ी है समर्थन मूल्य उसका आधा भी नहीं बढ़ाया गया है।

समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी, किसानों के साथ मजाक,2018-19 में ₹200 बढ़ाया गया था समर्थन मूल्य

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश सिंह का कहना है कि समर्थन मूल्य को लाभकारी बताकर सरकार किसानों के साथ मजाक कर रही है। सरकार किसानों को गुमराह करने की सोच रही है। सभी चीजों की बढ़ोतरी के साथ साथ इन सब का असर फसलों के लागत मूल्य पर भी पड़ता है। सरकार लागत मूल्य और उससे मिलने वाले लाभ पर भी बहका रही है। लागत मूल्य में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार भूमि का किराया एवं पूंजी पर ब्याज नहीं जोड़ा जाता है। वर्ष 2022 तक किसानों की खेती से आय दोगुना करने वाली सरकार ने वर्ष 2018 में समर्थन मूल्य में ₹200 की वृद्धि की थी। यह अब तक का सर्वाधिक है। इससे किसानों को लगा कि सरकार हमारे तरफ कार्य कर रही है लेकिन विगत 3 सालों में महंगाई पेट्रोल और डीजल खाद बीज की महंगाई ने किसानों की खेतों की लागत 2 गुना बढ़ा दी है। जबकि सरकार अब धान का समर्थन मूल्य कम करती जा रही है।

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