प्रदेश में मानसून का आगमन हो चुका है देश के कई क्षेत्रों में बारिश भी हो चुकी है और किसानों ने अपने खेत का कार्य शुरू कर दिया है। देश में कोरोना की वजह से लोगो को कठिनाईया आ रही हैं। लेकिन अब बारिश हो जाने से किसानों के मुंह पर खुशहाली आ गई हैं। मानसून का आ जाना है एक प्रकार से किसान के लिए एक त्योहार है। मानसून के आ जाने से किसानों के हाथ पांव चलने लगे हैं और बीमारी को भूलकर किसान अपने खेतों में काम करने लग गए हैं। कई गांव के किसानों ने तो सोयाबीन भी उगा दी है। कई गांव के किसान प्याज के लिए चोप तैयार कर रहे हैं। लेकिन कुछ किसानों के सामने अभी एक कठिनाई खड़ी है कि पिछले साल सोयाबीन कम हुई थी और इस बार किसानों को सोयाबीन की काफी जरूरत है। सभी किसान अब सिर्फ निजी कंपनियों के भरोसे बैठे हैं। और निजी कंपनियां इतना माल नहीं बना सकती है।
बीज निगम के पास सिर्फ 12000 क्विंटल बीज है और मांग 15 लाख क्विंटल की है
चिंता की बात यह है कि किसानों की मांग 15 लाख क्विंटल बीज की है जबकि बीज निगम के पास सिर्फ 12000 क्विंटल सोयाबीन उपलब्ध है। निगम बीज निर्माता किसान समितियों को तैयार ही नहीं कर पा रहा है। इसके अलावा भारतीय बीज निगम सहित अन्य सरकारी एजेंसीया सिर्फ 3 लाख क्विंटल बीज तैयार कर पाई है। सरकार बीज निगम में पहले आई एफ एस अधिकारियों को पदस्थ करती थी। अब पिछले 2 साल से यहां आईएएस अधिकारी प्रियंका दास को एम डी बना कर बैठाया गया है। आईएएस दास ने इस मामले में अपना पक्ष भी नहीं रखा है। किसानों की मांग 1500000 क्विंटल बीज की है लेकिन कंपनियां इतना अमीर नहीं बना सकती है इसलिए सोयाबीन एक चिंता का विषय बन गया है।