देश के केरल में मानसून ने दस्तक दे दी है। इसी के साथ मध्यप्रदेश में किसान खरीफ फसल की बोनी की तैयारियों में जुट गए है, लेकिन किसानों के सामने सबसे बड़ा संकट मंडरा रहा है जोकि सोयाबीन बीज का है। पिछले वर्ष अधिक वर्षा होने के कारण सभी किसानों की सोयाबीन लगभग खराब हो गई थी जिसके कारण फिलहाल में किसानों के पास उगाने लायक सोयाबीन नहीं है। इसीलिए स्थिति यह है कि वर्तमान में किसानों को 14 से 15 लाख क्विंटल सोयाबीन बीज की जरूरत है। सभी किसान अभी अच्छी क्वालिटी की सोयाबीन ढूंढने में लगे हुए हैं और किसानों ने सोयाबीन बीच की मांग भी की है।
बीज निगम के पास सिर्फ 12000 क्विंटल बीच है
चिंता की बात यह है कि किसानों की मांग 15 लाख क्विंटल बीज की है जबकि बीज निगम के पास सिर्फ 12000 क्विंटल सोयाबीन उपलब्ध है। निगम बीज निर्माता किसान समितियों को तैयार ही नहीं कर पा रहा है। इसके अलावा भारतीय बीज निगम सहित अन्य सरकारी एजेंसीया सिर्फ 3 लाख क्विंटल बीज तैयार कर पाई है। सरकार बीज निगम में पहले आई एफ एस अधिकारियों को पदस्थ करती थी। अब पिछले 2 साल से यहां आईएएस अधिकारी प्रियंका दास को एम डी बना कर बैठाया गया है। आईएएस दास ने इस मामले में अपना पक्ष भी नहीं रखा है।
मूंग के बीज को लेकर भी लीपापोती
बेतूल के घोड़ाडोंगरी में ग्रीष्मकालीन मूंग में असलम की स्थिति के मामले मैं अब कृषि विभाग के अधिकारी वैज्ञानिक और सप्लायर एजेंसी भारतीय बीज निगम के अधिकारी पर्दा डालने में जुट गए हैं। तीन बार मौके पर गई और जांच की। सभी कंपनी को बचाने में लगे हैं। एक फिसदी बीज तैयार करने वाली एजेंसी बीज निगम पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।