मंदसौर मंडी 1 जून से अनलॉक कर दी गई थी शुरुआती दिनों में कोरोना के डर से किसानों ने मंडी में अपना अनाज बेचने में उतना उत्साह नहीं दिखाया। पहले 5 दिनों में तो सिर्फ दिन में 20 से 30 ट्रैक्टर ही उपज लेकर मंडी पहुंच रहे थे लेकिन जैसे ही मानसून का आगमन हुआ तो सभी किसान अपने ऊपर लेकर मंडी में पहुंच रहे हैं जिससे मंडी में सभी प्रकार के अनाज की भरमार आवक हो रही है। आज मंगलवार को भी मंदसौर मंडी में गेहूं की भरपूर आवक रही और 9:00 बजे से पहले ही मंडी पूरी तरीके से भर गई और 9:00 बजे बाद आने वाले किसानों को अपना ट्रैक्टर खड़ा करने के लिए जगह नहीं मिली। किसानों ने अबकी बार सोसाइटी में गेहूं बेचने में इच्छा नहीं जताई थी लेकिन मंडी में गेहूं तेजी से आ रहे हैं।
किसानों को मंडी खुलने का था इंतजार
कोरोना महामारी के कारण प्रदेश की मंडी कई महीनों से बंद पड़ी थी और सार्वजनिक स्थान भी बंद पड़े थे। किसानों को कब से मंडियों के खुलने का इंतजार था और जैसे ही प्रशासन ने 1 जून से मंडियों को खोला तो शुरुआती 3 दिनों के बाद मंडी में किसान अपना माल लेकर पहुंच रहे हैं। रोजाना भारी मात्रा में उपज की आवक हो रही है। उपज की आवक अधिक होने का एक कारण मानसून का आना भी है। कई महीनों से मंडी बंद होने के कारण किसानों के पास पैसे नहीं थे और अब मानसून आ चुका है तो खेतों में बीज बोने के लिए और दवाइयों के लिए किसान को पैसे की जरूरत थी इसलिए मंडी या खुलते ही किसानों ने तेजी से अपना माल बेचना शुरू कर दिया है।
सोयाबीन की भी भरपूर आवक हुई है
गेहूं के साथ-साथ किसान सोयाबीन और किराना सामान भी तेजी से मंडी में लेकर पहुंच रहे हैं। फिलहाल मंडी का सिस्टम थोड़ा चेंज कर दिया गया है की पहले जिस फिल्म में सोयाबीन को रखा जाता था उस फील्ड में अभी गेहूं को कर दिया गया है और सोयाबीन को प्याज के फील्ड में शिफ्ट कर दिया गया है क्योंकि अभी ट्रैक्टर इतने आ रहे हैं कि इनका एक ही फील्ड में नीलाम होना काफी मुश्किल है। इसीलिए सोयाबीन को प्याज के फील्ड में शिफ्ट कर दिया गया है और सुबह 10:00 बजे से पहले ही सोयाबीन से भी पूरा फील्ड भर गया। अलसी का भाव साडे आठ हजार बार हो गया। अच्छी क्वालिटी की आठ हजार से ऊपर ही बिकी और थोड़ी कम क्वालिटी वाली भी 7000 तक भी की है।