अब किसानों को यूरिया का कट्टा लाने की जरूरत नहीं है, सिर्फ 500 ml दवाई करेगी यूरिया का काम, कीमत भी यूरिया से काफी कम है

 

अब किसानों को 50 किलो का यूरिया का कट्टा लाने की जरूरत नहीं है किसानों के लिए एक राहत की खबर सामने आई है कि अब लगभग 50 किलो यूरिया के कट्टे का कार्य सिर्फ 500 मिलीलीटर की दवाई करेगी और उसकी कीमत भी यूरिया के कट्टे से कम रहेगी। भारत के इफको ने इस दवाई को लॉन्च किया है ताकि देश में 50% तक यूरिया के उपयोग को रोका जा सके। दवाई को नैनो उर्वरक के नाम से लांच किया जाएगा। इफको ने किसानों के फायदे के लिए यह दवाई बनाई है और यूरिया का उपयोग भी कम हो सके इसलिए भी इस दवाई को लांच किया जा रहा है।

कंपनी ने इसके बारे में क्या कहा है

आई सी आई एस, भारतीय किसान वर्ग सहकारी लिमिटेड ने नैनो तकनीक का उपयोग करके विकसित एक नया नैनो यूरिया (तरल) वरक लॉन्च किया है। इसको लांच करने के साथ इफको कंपनी का कहना है कि हमारे द्वारा बनाई गई उत्पाद की 500 मिलीलीटर की बोतल पारंपरिक यूरिया के लगभग 50 किलोग्राम वाले कट्टे को बदलने में सक्षम रहेगी यानी कि सिर्फ 500 मिलीमीटर की बोतल 1 लीटर यूरिया के बराबर कार्य करेगी। यह दवाई यूरिया की आवश्यकताओं को 50% तक कम कर देगी। कंपनी ने कहा है कि दवाई उत्पादन का कार्य इसी महीने शुरू हो जाएगा जोकि अहमदाबाद में कंपनी के कलोल संयंत्र में बड़े पैमाने पर किया जाएगा। फिलहाल निर्मित होने वाली मात्रा का खुलासा नहीं किया गया है। बनी ने यह भी कहा कि हम जल्द ही कमर्शियल रोल आउट शुरू करने वाले हैं। दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश के आमला और फूलपुर में 180 मिलीलीटर बोतल प्रतिवर्ष की कुल उत्पादन क्षमता के साथ दो और इकाइयां स्थापित करेगा।

इसको द्वारा लांच की गई प्रत्येक बोतल 500 मिलीलीटर की है

इफको कंपनी ने अपना एक लक्ष्य रखा है कि तीसरे चरण में 320 मिलियन बोतल प्रति वर्ष की उत्पादन क्षमता तक पहुंचना है। जो सब्सिडी देने वाले यूरिया के 13 पॉइंट 7 मिलियन टन प्रतिवर्ष की जगह लेने वाला है। इस दवाई के लॉन्च होने के बाद सरकार पर से सब्सिडी का बोझ कम हो जाएगा।

यूरिया के कट्टे से कम है 500 मिलीलीटर बोतल की कीमत

कंपनी ने यह भी कहा है कि नैनो यूरिया उर्वरक की एक बोतल की कीमत भारतीय रुपयों में 240/500 मिलीलीटर की बोतल है। यानी कि फिलहाल में जो यूरिया किसान उपयोग करते हैं उस यूरिया के बराबर बैग से 10% कम है। कंपनी ने कहा है कि दवाई में उपस्थित नाइट्रोजन प्रभावी रूप से फसल की जरूरतों को पूरा करेगा और फसल की पैदावार में 8% तक की वृद्धि करेगा। कंपनी ने इसका परीक्षण करके भरोसा दिलाया है और कंपनी ने इसका परीक्षण पूरे देश में 94 से अधिक फसलों पर 11000 किसानों के सामने किया है। पर्यावरण के मुताबिक यूरिया की तुलना में नैनो उर्वरक अधिक टिकाऊ रहेगा। और भंडारण लागत को कम करेगा। बाजार सहभागी ओ का मानना है कि उर्वरक लंबे समय में एक गेम चेंजर हो सकता है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय बाजार भी शामिल है, बस यह सब किसानों पर निर्भर करेगा कि किसान इसे कितनी अच्छी तरह स्वीकार करते हैं।इफको ने नैनो यूरिया उर्वरक के उपयोग और अनुप्रयोग के बारे में किसानों को प्रदर्शित करने और प्रशिक्षित करने के लिए एक देशव्यापी अभियान की योजना बनाई है। सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी के कारण किसान यूरिया का ज्यादा उपयोग करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *