केरल में मानसून 31 मार्च तक आना तय हो चुका है। मध्य प्रदेश में भी मानसून के अनुकूल हवाएं चलना शुरू हो गई है। इसके कारण इसके समय से पहले आने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि प्रदेश में यास तुफान का मामूली असर ही दिखा है। हालांकि तूफान के चलते देश में हल्की हल्की बूंदाबांदी भी हुई है। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार प्रदेश में मानसून के समय हवाओं की जो दिशा रिकॉर्ड होती है। वह शुरू हो गई है। हवाओं की दिशा उत्तर पश्चिमी होते हुए पश्चिम की ओर होते हुए दक्षिणी पश्चिमी की और सेट होने का कार्यक्रम शुरु हो चुका है।
मौसम विभाग कैसे लगाता है मानसून का पता
मौसम विभाग आईटीसीजेड या इंटर ट्रॉपिकल कन्वर्जन जॉन के आधार पर मानसून की स्थिति तय करता है। सामान्य भाषा में ट्रफ लाइन 10 से 12 डिग्री तक पहुंच जाती है,तब मानसून आता है। मानसून चूंकि दक्षिण से आता है और उत्तर की ओर जाता है। इसीलिए इसे मानसून ने उत्तरी सीमा कहा जाता है। यह सीमा प्रवेश में छूती है।उसके बाद मौसम विभाग द्वारा मानसून आने की खबर दी जाती है। इसके प्रवेश होने की तारीख 20 जून तय हो चुकी है।
अरब सागर से आ रही है नमी से बारिश
प्रदेश में तूफान यास के अतिरिक्त नमी की दूसरी लहर अरब सागर से आ रही है। मंदसौर शाजापुर से लेकर सीहोर खंडवा खरगोन तक हवा के ऊपरी भाग में हल्की द्रोणिका है। इसके असर से गुरुवार को कई स्थानों पर बारिश भी हुई। इधर हरदा के जींद गांव में पेड़ गिरने से उसके नीचे दबने से जमुना प्रजापति की मौत हो गई। 2 लोग घायल भी हो गए। तूफान के कारण खंडवा होशंगाबाद हाईवे साढे तीन घंटे बाधित रहा।