लेकिन जरूरी है सावधानी
परिचित के परिवार में दो सदस्य कोरोना संक्रमित हो गए और वे होम क्वारन्टीन होकर उपचार लेने के बाद स्वस्थ्य भी हो गए। ताज्जुब यह है कि उन्हें उस ऑक्सीजन की आवश्यकता महसूस नहीं हुई जिस ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर सोशल मीडिया में मारामारी दिखाई जा रही है।असल में दोनों सदस्यों ने स्वस्थ्य होने तक प्रकृति की ऑक्सीजन को ही हमेशा की तरह इस्तमाल किया।हालांकि उन्होंने मास्क और सामाजिक दूरी का कड़ाई से पालन भी अवश्य किया।इससे लगता है कि कोरोना संक्रमित प्रत्येक पेसेंट को ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है।उम्र या अन्य लक्षणों से कुछ मरीजों को ऑक्सीजन की आवश्यकता हो भी सकती है।
इसमें दो रॉय नहीं है कि कोविड़ 19 की दूसरी लहर लापरवाही से वाकई घातक साबित हो रही है लेकिन मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग से बचा भी जा सकता है।
दरअसल सोशल मीडिया पर संक्रमित मरीजों के स्वस्थ्य होने के आंकड़ों को तवज्जो नहीं देकर सिर्फ एक तरफा ही संक्रमित मरीजों के प्रतिदिन के आंकड़े वायरल होने से लोग भयभीत हो रहे है। फिर उनके ख्याल में बेवजह ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमेडिसिविर इंजेक्शन आने लगता है जबकि सच्चाई यह भी है कि बिना ऑक्सीजन के ही संक्रमित मरीज लगातार स्वस्थ्य हो रहे है।
आपको रहना होगा सावधान
एक पचपन वर्षीय महिला कोरोना संक्रमित पाई गई।महिला ने अपने आप को होम क्वारन्टीन कर लिया और चिकित्सक से घर पर ही परामर्श लेकर समय समय पर दवा लेकर महिला नेगटिव हो गई।उसे अलवर शहर या राजस्थान के ख्यातिनाम निजी या सरकारी हॉस्पिटल के बेड,दवा चर्चित इंजेक्शन रेमेडिसिविर और ऑक्सीजन की कतई आवश्यकता नहीं हुई।
यह सही है कि संक्रमण तेजी से फ़ैल रहा है।इसी को रोकने के लिए प्रशासन बाजारों को बंद करवाकर अनावश्यक आवाजाही रोककर संक्रमण की रफ्तार की चेन तोड़ने का प्रयास कर रहा है।ऐसी स्थिति में हर व्यक्ति को स्वेच्छा से शासन-प्रशासन का सहयोग अवश्य करना चाहिए।साथ ही जनहित में वे तथ्यहीन सूचनाएं सोशल मीडिया पर कतई वायरल नहीं करनी चाहिए जिनका वजूद ही नहीं है।