मंदसौर शहर की प्यास बुझाने के लिए अमृत मिशन में बना 55 करोड़ का चंबल प्रोजेक्ट नाकाम रहा है। कब से बन रहा चंबल प्रोजेक्ट अभी तक सफलतापूर्वक पूरा नहीं हो पाया है और मंदसौर शहर की जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। वर्ष 2047 तक की आबादी को ध्यान में रख बना प्रोजेक्ट वर्तमान की जरूरत को भी पूरा नहीं कर पा रहा है। नपा के तकनीकी हमले अक्षम्य था और ठेकेदार की रसूख इस कदर भारी पड़ी की 55 करोड़ खर्च करने के बाद भी मंदसौर की प्यास नही बुझ पा रही हैं।अब मइ माह के दूसरे पखवाड़े के साथ जलसंकट गहरा गया है।
शिवना में खत्म हो चुका है पानी
वर्तमान में शिवना नदी से मंदसौर की जलापूर्ति नहीं की जा सकती क्योंकि शिवना नदी में पानी खत्म हो चुका है। फिलहाल तो यह हालत हो गई है कि शिवना नदी में गड्ढों को ढूंढ कर पंप के द्वारा पानी सहेजा जा रहा है। और चंबल से मिल रहा मात्र एक पंप का 30% पानी जोड़कर सप्लाई किया जा रहा है।जबकि काल्वी स्टेशन पर तीन पंप लगे हुए हैं। एक बार सप्लाई में 28 से 32 लाख गैलन पानी की जरूरत होती है। लेकिन चंबल से यह आपूर्ति नहीं हो पा रही है और शिवना में पानी नहीं बचा है।ऐसे में चंबल का पानी मंदसौर पहुंच जाने के बाद भी जल संकट खत्म करने का नाम ही नहीं ले रहा है और ना ही नगर पालिका की चिंता हो रही है।
करोड़ों का प्रोजेक्ट सफल क्यों नहीं होगा
लोगों को विचार इस बात का आ रहा होगा कि आखिर यह प्रोजेक्ट इतने करोड़ों रुपए की लागत में बना है और उसके बाद भी यह सफल नहीं हो पाया और प्रशासन द्वारा अभी तक किसी पर भी कार्यवाही क्यों नहीं की गई है। आखिर शासन और विभाग इस मामले को लेकर चुप क्यों है।कोल्वी स्टेशन पर तीन पंप लगे हुए हैं। इसमें एक ही चल पा रहा है। इससे मात्र 30% पानी मिल रहा है। दूसरा चलाने पर 60% पानी मिल सकता है। लेकिन चलाने पर लाइव प्रेशर नहीं झेल पा रही है। पिछले दिनों आंधी से लाइन ही बह गई थी। अब पता नहीं यह समस्या कब खत्म होगी।