आज के समय में देश में हर चीज की कीमत ऊंचाई छूती जा रही है। पिछले 12 महीनों में गैस के दाम बढ़ते ही जा रहे हैं और सब्सिडी भी लगातार घटती जा रही है। पेट्रोल और तेल शक्कर के दाम तो आसमान छू ही रहे हैं लेकिन इसके साथ साथ तेल की कंपनियां गैस के दाम भी बढ़ा दी जा रही है। फरवरी महीने में तीन बार में लगभग ₹100 बढ़ा दिए गए थे। जब इससे भी मन नहीं भरा तो मार्च के पहले दिन ही ₹25 और बड़ा कर एक और झटका दे दिया। 14 किलो का घरेलू गैस सिलेंडर अब ₹895 का हो गया है।
सरकार ने उज्जवला योजना के नाम पर चूल्हे छुड़वा दिए
इस मामले पर सरकार की बहुत बड़ी मेहरबानी है पहले जो सरकार ने उज्जवला योजना के नाम पर सभी के चूल्हे छुड़वा दिया और अब सब्सिडी भी वापस ले ली गई है। लोगों ने इस पर तंज भी कसा है कि क्या सरकार महंगाई के साथ अप्रैल फूल बनाने की कोशिश तो नहीं कर रही है। इधर कोरोनावायरस दिहाड़ी मजदूरी भी मार दी गई। लगातार शिक्षित बेरोजगारी की संख्या बढ़ती जा रही है। किराना दुकान से लेकर मल्टी नेशनल कंपनियों तक ने मजदूरों की संख्या घटा दी है। निर्धन लोगों को मिल रही सरकारी मदद सिर्फ कुछ माह तक ही सीमित रही।
गरीबों को परेशान क्यों कर रही है सरकार
महंगाई के दौर में फिर से कमर तोड़ दी है। सोयाबीन तेल के दाम ₹128 तक पहुंच गया है, शक्कर ₹36 और पेट्रोल के दाम तो शतक पार कर चुके हैं। गांधीनगर निवासी ज्योति कुवर ने बताया कि पिछले 8 महीने से गैस सिलेंडर पर सब्सिडी 50 से ₹54 तक ही मिल रही है। सिलेंडर के भाव हर महीने लगातार बढते ही जा रहे हैं। दिसंबर माह में गैस सिलेंडर ₹770 में मिल रहा था और आज उसकी कीमत ₹895 तक पहुंच गई है। आखिर कब तक गरीबों को इस महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी।