मंदसौर: पिछले 10 महीने में हुए जिले में कई घोटाले, क्या मंदसौर के भ्रष्टाचारी शिवराज सरकार से डरते नहीं, अभी-अभी छात्रवृत्ति घोटाला भी हुआ

खबर मध्य प्रदेश के हाईलाइट जिला मंदसौर की है जो पहले ही कई कांड में फेमस हो चुका है और अब मंदसौर में दिन पर दिन घोटाले भी बढ़ते जा रहे हैं। मंदसौर जिले में पिछले 10 महीनों में लगभग कई घोटाले हो चुके हैं। इन पर कोई एक्शन लेने वाला नहीं दिख रहा है।इससे स्पष्ट पता चलता है कि या तो प्रशासन का हाथ इन घोटालों में है या फिर घोटाले करने वाले भ्रष्टाचारी शिवराज सरकार से डर नहीं रहे हैं।इसको रोकने के लिए सरकार को एक नया कदम उठाने की जरूरत है। अभी-अभी शिक्षा विभाग की मिलीभगत से छात्रवृत्ति घोटाला भी हुआ है। घोटाले के मास्टरमाइंड अक्सर वो लोग होते हैं जो नेताओं की जेब और मुंह बोले रिश्तेदार होते हैं।

शिवराज सरकार आने के बाद मंदसौर में आ गई है घोटाले की बाढ़

जब से शिवराज सरकार रिटर्न आई है तब से हमारे मंदसौर जिले में तो जैसे घोटालों की बाढ़ ही आ गई है। किसी में भी सरकार या कानून का जरा भी डर नही है।जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी काल में एक दूसरे की मदत कर रही थी लॉक डाउन के दौरान देश की मोदी सरकार 80 करोड़ लोगो की फिक्र कर रही थी।मप्र की शिवराज सरकार भी हर संभव लोगो की मदद कर रही थी। उसी दौरान ज़िले में कुछ महाभ्रष्ट घोटाले पर नजर कर रहे थे।

वो चाहे प्रवासी मजदूर को घर पहुंचाने के नाम पर हुआ 50 लाख का परिवहन घोटाला हो या सैकड़ों क्विंटल राशन के चावल का घोटाला हो।वो चाहे हजारों किलों सड़े मावे का घोटाला हो या साढ़े तीन करोड़ का खाद घोटाला। वो चाहे नगर पालिका में ब्लीच पाऊडर, PPE किट आदि में घोटाला हो या अब स्कूल छोड़ चुके बच्चों के नाम पर छात्रवृत्ति निकालने पर हुआ शिक्षा विभाग का छात्रवृत्ति घोटाला।

विधायक जी मुददे को सरकार तक ले जाएंगे

विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया जी ने इस मुद्दे को सरकार तक पहुंचाने की बात कही है।तो कलेक्टर साहब ने शिक्षा अधिकारी और कुछ लोगों को नोटिस जारी किया है।लेकिन जैसे ही घोटाले का हिस्सा कही बंटा के सब भुला दिया जाएगा और फिर अगले घोटाले का इंतज़ार किया जाएगा।

 लगातार घोटाले पर घोटाले हो रहे हैऔर कोई एक्सन नहीं ले पा रहा है ।मुद्दा गर्म हो तब तो पक्ष के लोग कार्यवाही करवाने की बात कहते है और फिर कुछ दिनों बाद सब चुप हो जाते हैं।विपक्ष वाले तो अपने मुँह पर अच्छी कंपनी का ताला लगा कर बैठे हैं। इन घोटालों पर बोलना सबसे बड़ा पाप समझते है।आखिर यह घोटाले कब रूकेंगे। इसे मंदसौर ज़िले का दुर्भाग्य कहे या लापरवाह जिम्मेदार। जो यहाँ घोटाले पर घोटाले होते जाते है और पर जिम्मेदार चुप रहते है। घोटाले करने वाले परिवहन विभाग के बाबू शिंदे जैसे लोग फिर से मलाईदार कुर्सी पर बैठ जाते है।करोडों के खाद घोटाले में अदने से कर्मचारी पर कायमी होने में महीनों लग जाते है लेकिन जवाबदार तब भी आराम से रहते है।

 

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