प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधकों ने अभिभावकों को थमाया फिस वसूली का नोटिस, सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय नहीं आया

देश में कोरोना करने के कारण कई समय से स्कूल बंद पड़े थे जिसके अंतर्गत समय निकलते निकलते फैसले भी आ रहे थे। उसमें एक फैसला फिस पर भी था।यानी कि स्कूल अगर बंद रखे गए हैं तो बच्चों से फीस नहीं ली जाएगी। लेकिन अभी कोरोना का प्रभाव कम हो जाने के कारण स्कूलों को खोल दिया गया है और सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आने पर भी स्कूल द्वारा बच्चों के अभिभावकों से फीस वसूली की जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा स्कुल की फिस पर कई बार फैसले आ चुके हैं। अब स्कूल जाओ सुरक्षित तरीके से चल गए हैं तो फिस वसूली की जा रही है।

आखिर गरीब अभिभावक कहां से लाएंगे इतने पैसे

अब सवाल यह उठता है कि स्कूल वाले पैसे तो ले रहे हैं लेकिन गरीब और मध्यमवर्गीय अभिभावक इतने पैसे कहां से लाएंगे। राजस्थान के प्राइवेट स्कूलों के कोरोना काल की 100% फीस वसूल सकते हैं या नहीं इस पर अभी सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय नहीं आया है।राज्य सरकार और प्राइवेट स्कूलों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है लेकिन गत 8 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया कि उसी को आधार बनाकर प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधकों ने अभिभावकों को फिस का नोटिस जारी कर दिया है।कोई तीन हजार छात्राओं वाली अजमेर की सेंट मेरी कॉनवेंट स्कूल की प्रिंसिपल ने 16 फरवरी को ही एक नोटिस सभी अभिभावकों को भिजवा दिया है। 

केंद्र सरकार द्वारा फीस का क्या नियम है

  

इस नोटिस में सुप्रीम कोर्ट के 8 फरवरी के आदेश का उल्लेख करते हुए अभिभावकों के समक्ष कुल फीस की 6 किश्तें प्रस्तावित की है। पहली किश्त 5 मार्च को जमा करवानी है, जबकि अंतिम किश्त अगस्त माह में जमा करवानी है। कॉनवेंट की तरह ही अजमेर और प्रदेश के अन्य शहरों की प्राइवेट स्कूलों को ऐसे नोटिस थमा दिए हैं। चूंकि नोटिस में सुप्रीम कोर्ट का उल्लेख किया गया है, इसलिए अभिभावक डरे हुए हैं। विरोध करने पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करने का आरोप लग सकता है। कई स्कूलों की एक लाख रुपए सालना तक फीस हैं, ऐसे में अभिभावकों को अगस्त तक एक लाख रुपए की फीस जमा करवानी होगी। सभी अभिभावकों पर अचानक दबाओ सा पड़ गया है।गरीब और मध्यमवर्गीय के लिए इटली फीस जमा करना मामूली बात नहीं है।सब जानते हैं कि कोरोना चलने के कारण सभी कार्य देश में पूर्णतः बंद कर दिए गए थे। घर बैठकर ऑनलाइन पढ़ाई की है।कुछ अभिभावकों को लोक डाउन में आर्थिक समस्या का भी संकट आया इसको नजरअंदाज करके सुप्रीम कोर्ट ने भी 100% फीस जमा करने का आदेश दे दिया था।अभी सुप्रीम कोर्ट के समर्थन को देखते हुए ही अंतिम आदेश आने से पहले ही फीस वसूली के नोटिस अभिभावकों को थमा दिए गए हैं।सवाल यह उठता है कि अगर अंतिम फैसले में बदलाव आ गया तो क्या होगा। कुछ कर्मचारियों को स्कूल से निकाल दिया गया है और कुछ टीचर्स की सैलरी 25% ही रख दी गई है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *