प्रशासनिक लापरवाही के कारण नीमच के दो बडे मिलावटखोर पर रासुका(N.S.A) हुई निरस्त,गृह मंत्रालय भोपाल में नीमच जिला का पहला मामला

 

नीमच और मंदसौर जिले में एक तरफ प्रशासन मिलावटखोरों पर धडाधड रासुका लगा रहा है।दोनों जिलों में हर प्रकार से मिलावटखोरों और भ्रष्टाचारियों को पकड़ा जा रहा है। पुलिस को इस अभियान में कई सफलताएं भी मिल रही है। लेकिन इन मामलों का पूरा केस क्लियर नहीं हो रहा है और बीच में ही अटक रहा है यानी कि पुलिस मिलावटखोरों को पकड़ तो लेती है लेकिन  दूसरी और रासुका की कार्रवाई के बाद आगे की प्रक्रिया में लापरवाही बरतने के मामले भी सामने आ रहे हैं। यानी कि मिलावटखोरों पर लगाई गई रासुका हटा दी जाती है।

2 मिलावटखोरों पर लगी रासुका गृह मंत्रालय ने हटा दी है

नीमच जिले का ही एक मामला है कि गृह मंत्रालय भोपाल 2 मिलावटखोरों पर लगी रासुका को हटा दिया है। यानी कि मामला आखरी में जाकर पूरा चौपट कर दिया जाता है। रासुका हटा देने वाली खबर मिलने के बाद जिन लोगों पर रासुका लगी हुई है उन्हें बड़ी राहत मिलती हुई दिख रही है। इसमें गृह मंत्रालय की कोई गलती नहीं है जबकि मामले की जांच करने पर यह कारण सामने आया है कि रासुका निरस्त इसलिए की गई है क्योंकि गृह मंत्रालय को इसकी रिपोर्ट समय पर नहीं भेजी गई थी। अब आखिर यह लापरवाही किसके द्वारा बढ़ती गई है। इस मामले को जांच करना चाहिए।

राकेश अग्रवाल के गोदाम का कलर वाली कलौंजी जब्त की गई थी

 

20 मार्च 2020 को खारद्य एवं सुरक्षा विभाग द्वारा राकेश अग्रवाल के गोदाम पर कलर वाली करीब 4 क्विंटल कलोंजी जब्त की गई थी। राकेश अग्रवाल और मोनू डांगी पर प्रशासन द्वारा 420 की धारा सहित रासुका की कार्रवाई की गई थी। इसमें से अभी मोनू डांगी फरार चल रहा है। जिसे आज तक बघाना पुलिस पकड नहीं पाई है। हाल ही में गृह मंत्रालय ने समय पर फरारी सूचना या अन्य जानकारी नहीं भेजने के कारण को लेकर मोनू डांगी पर लगी रासुका निरस्त् कर दी है। इसी प्रकार 2 जनवरी 2021 को बघाना में शशांक जायसवाल के गोदाम पर कार्रवाई की गई थी। मौके से मैनेजर राहुल शर्मा और  प्रवीण साल्वी को पकडा था और करीब 8 क्विंटल कलोंजी कलरयुक्त पाई गई थी। इस मामले में भादसं की धारा 420 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था वहीं तीनों पर रासुका की कार्रवाई भी हुई, पर शशांक जायसवाल उस वक्त मौके पर नहीं था और अभी तक फरार है। शशांक जायसवाल पर लगी रासुका की रिपोर्ट भी गृह मंत्रालय को समय पर नहीं दी गई और इस मामले में भी रासुका की कार्रवाई निरस्त कर दी गई है। इन दोनों मामले में किस—किसकी लापरवाही रही, पुलिस प्रशासन इसकी जांच पडताल में जुटा हुआ है।

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