राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 15 फरवरी को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर अपने तर्क रखने थे और सभी बाते बतानी थी लेकिन सीएम गहलोत का भाषण केन्द्र सरकार की आलोचना पर ही केन्द्रित रहा।यही नहीं सीएम गहलोत ने अपनी ही पार्टी के मंत्रीयो पर देशद्रोह का आरोप भी लगा दिया। इनसे अपना राजस्थान नही संभल रहा और देश की बात कर रहे हैं। राजस्थान में एमपी और यूपी से भी महंगा पेट्रोल और डिजल बिक रहा है। गहलोत ने दबाव बना कर राज्यपाल कलराज मिश्र से अपने अभिभाषण में केन्द्र सरकार की आलोचना और स्वयं की सरकार की प्रशंसा करवा ली।
केंद्र सरकार की आलोचना करना किया स्वीकार
सीएम अशोक गहलोत ने अपने भाषण में मुख्यमंत्री के पद की मर्यादा तक का ख्याल नहीं किया और साथ साथ अपने भाषण में केन्द्र सरकार की आलोचना करना स्वीकार कर लिया।अगर इनकी जगह कोई और राज्यपाल होता तो इनके जैसें केंद्र सरकार की आलोचना नहीं करता। इसमें यह नियम होता है कि अगर आप राज्यपाल का दायित्व सुनाना चाहते हैं तो केंद्र सरकार की प्रशंसा कर सकता है लेकिन बुराई नहीं कर सकते। लेकिन अशोक गहलोत नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आलोचना का कोई अवसर नहीं छोड़ते हैं।यही वजह रही कि 15 फरवरी को अशोक गहलोत ने विधानसभा में भी केन्द्र सरकार की जमकर आलोचना की।
देश में भय का माहौल है: सीएम गेहलोत
सीएम गहलोत ने कहा कि देश में भय का माहौल है और लोग फोन पर भी बात करने से डर रहे हैं। गहलोत को देश में भय तब नजर आ रहा है, जब 26 जनवरी को ही दिल्ली में ऐतिहासिक लालकिले पर तिरंगे का अपमान किया गया। दिल्ली में पुलिस के 400 जवान जख्मी भी हो गए, फिर भी उग्रवादियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।स्वीडन की सेलेब्रिटी ग्रेटा थनबर्ग कुछ भारतीयों से मिल कर किसान आंदोलन को भड़काने में लगी हुई है। गहलोत को अपने राजस्थान का वो एक माह याद करना चाहिए, जब उन्हीं की पार्टी के तीन मंत्री और 16 विधायक दिल्ली चले गए थे।तब गहलोत ने अपनी ही पार्टी के मंत्रियों और विधायकों पर देशद्रोह का आरोप लगाए।