जयपुर में एक बच्ची में सफेद खून पाए जाने पर डॉक्टर भी हैरान हो गए हैं। राजस्थान के जयपुर में जेके लोन अस्पताल की रेयर यूनिट में एक बच्ची “हिना” के खून का रंग जांच के दौरान सफेद पाया गया है। उसमें कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड की मात्रा भी अधिक पाई गई है। डॉक्टरों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में संभवत या किसी भी कम उम्र की बच्ची में लाल खून की बजाय सफेद खून का यह पहला मामला है। मेडिकल भाषा में इस रोग को “डिसलिपेमेडिया विथ हिमोलाइटिक एनीमिया” के नाम से जाना जाता है।
लाखों में से किसी एक में यह रोग पाया जाता है
यह रोग बहुत ही कम देखने को मिलता है। कम उम्र के लाखों बच्चों में से ऐसा रोग किसी एक में ही पाया जाता है। हिना की केस स्टडी अब राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के जर्नल में प्रकाशित होने के लिए भेजी जाएगी। जेके लोन अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ और रेयर डिजीज यूनिट के प्रभारी डॉ अशोक गुप्ता का कहना है कि ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल की ज्यादा मात्रा मिलने से जान को खतरा है।
खून सफेद क्यों पाया जाता है
आपके मन में विचार आ रहा होगा कि आखिर यह सफेद खून क्यों पाया जाता है। ट्राइग्लिसराइड की मात्रा ज्यादा होने पर आरबीसी की झिल्ली पर यह जमा होने लगता है। इससे लाल कण फटने लगते हैं। इसके कारण हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है। और शरीर में ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल अधिक होने से खून का रंग सफेद दूध जैसा प्रतीत होने लगता है।